Human Carrying Drone: ग्वालियर के मेधांश त्रिवेदी (Medhansh Trivedi) जो सिंधिया स्कूल में कक्षा 12 के छात्र हैं, ने एक ऐसा ड्रोन विकसित किया है जो इंसान को ले जा सकता है. इस ड्रोन को बनाने की प्रेरणा उन्होंने चीन की ड्रोन तकनीक से ली. यह सिंगल-सीटर ड्रोन 80 किलोग्राम तक वजन ले जाने में सक्षम है और करीब छह मिनट तक उड़ सकता है.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की मुलाकात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर मेधांश से मुलाकात की और उनके इस आविष्कार की सराहना की. उन्होंने मेधांश को इस नवाचार को अपने करियर की शुरुआत मानकर आगे बढ़ने की सलाह दी और दुनिया के प्रमुख संस्थानों में पढ़ाई के लिए तैयारी करने को कहा. साथ ही, मंत्री ने मेधांश को हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया है.
3.5 लाख रुपये लगी लागत
मेधांश ने बताया कि उन्होंने 3.5 लाख रुपये की लागत से इस ड्रोन को बनाया है, जिसका नाम MLDT 01 रखा गया है. इसे तैयार करने में उन्हें तीन महीने का समय लगा. ड्रोन की लंबाई और चौड़ाई 1.8 मीटर है और इसे वर्तमान में केवल 10 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाया जा रहा है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने अपने स्कूल द्वारा जारी एक बयान में कहा, "चीन में ड्रोन देखकर मुझे इसे बनाने की प्रेरणा मिली. मेरे शिक्षक मनोज मिश्रा ने तकनीकी सहायता और प्रेरणा देकर मुझे इसे विकसित करने में बहुत मदद की." स्किंडिया स्कूल के स्थापना दिवस समारोह के दौरान, केंद्रीय मंत्री सिंधिया और इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने भी मेधांश के इस नवाचार की प्रशंसा की.
राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
मेधांश के इस इनोवेशन ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने उनकी उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने मेधांश त्रिवेदी से मुलाकात कर उन्हें उनके इस आविष्कार के लिए बधाई दी है. मैं उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हर संभव सहायता प्रदान करूंगा." मेधांश का यह ड्रोन तकनीकी प्रगति का उदाहरण है और यह भविष्य में उन्नत तकनीकों की ओर उनके योगदान की शुरुआत मानी जा रही है.
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