Smartphone Market काफी बड़ा होता जा रहा है. रोज़ाना ही कोई ना कोई स्मार्टफोन पेश होता रहता है. कंपनी किसी स्मार्टफोन को पेश करती है और फिर 6 से 9 महीनों बाद उसका नेक्स्ट वर्जन मार्केट में उतार देती हैं. कहा जाता है कि मार्केट में स्मार्टफोन की भीड़ इतनी बढ़ गई है कि कोई कंपनी स्मार्टफोन लॉन्च करने के बाद ही उसके नेक्स्ट वर्जन पर काम करना शुरू कर देती है. अब कंपनी अलग -अलग वर्जन के साथ स्मार्टफोन पेश तो कर रही हैं, लेकिन इन्हें इससे फायदा होता भी है या नहीं ? जवान है कि हां बहुत फायदा होता है. कंपनियां पूरे सिस्टम को इस तरह से डिजाइन करती हैं कि आप नया स्मार्टफोन खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं. आइए इस खबर में इस बारे में डिटेल में जानते हैं.


स्मार्टफोन कंपनियों का मास्टर प्लान


आमतौर पर स्मार्टफोन मार्केट वार्षिक तौर पर काम करती थी. इसका मतलब है कि एक साल बाद किसी कंपनी के स्मार्टफोन या स्मार्टफोन के नेक्स्ट वर्जन को पेश किया जाता था, लेकिन फिर मार्केट में कड़े कॉम्पटीशन के चलते इस साइकिल को कम कर दिया गया. अब एक साल से ही कम समय में अगला स्मार्टफोन पेश कर दिया जाता है. 


इस तरह यूजर्स को किया जाता है मजबूर


मान लीजिए कोई कंपनी किसी स्मार्टफोन को पेश करती है, और इसके पेश होने के 9 महीने बाद नया स्मार्टफोन पेश किया जाता है. इससे उस कंपनी को काफी फायदा होता है. कंपनियां भली प्रकार से यह बात जानती हैं कि अगर यूजर्स को एक के बाद एक कुछ टाइम गैप के साथ कुछ फीचर्स अपडेट कर नया फोन दिखाया जाए तो वो इसे खरीदने के बारे में जरूर सोचेंगे.


सॉफ्टवेयर अपडेट देना बंद


यह भी देखा गया है कि कई कंपनी स्मार्टफोन पेश करती हैं, और फिर कुछ समय बाद ही वो उसके अपग्रेड मॉडल पर काम करना शुरू कर देती हैं. इसके बाद, कंपनी पुराने मॉडल्स को 2 से 3 वर्ष बाद सॉफ्टवेयर अपडेट देना बंद कर देती हैं. अब बेचारा यूजर क्या करे? जब अपग्रेड मिलना बंद हो जाता है तो यूजर को मजबूरी में एक ब्रांड न्यू फोन खरीदना ही पड़ता है.


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