कई बार हम अपनी सुविधा के लिये कई ऐप डाउनलोड करते हैं. लेकिन कई बार ये ऐप्स फर्जी हो सकते हैं और आपका पर्सनल डेटा चुरा सकते हैं. हाल में ऐसी कुछ फ्रॉड केस आये हैं ऑक्सीमीटर ऐप के बारे में. इस ऐप के बारे में केन्द्र सरकार ने अपने साइबर अवेयरनेस ट्विटर हैंडल से एक एडवाइज़री जारी की है. सरकार के साइबर डिपार्टमेंट से संबंधित ट्विटर हैंडल का नाम साइबर दोस्त है. साइबर दोस्त ट्विटर हैंडल को केंद्रीय गृह मंत्रालय ऑपरेट करता है और ये टाइम टू टाइम साइबर क्राइम के बारे में लोगों को एडवाइज़री या चेतावनी देता है. हाल में इस सरकारी ट्विटर हैंडल की ओर से लोगों को चेतावनी दी है कि वो अनजान यूआरएल से ऑक्सीमीटर ऐप डाउनलोड ना करें.
केन्द्र सरकार ने अपने एडवाइजरी में कहा है कि ऐसे ऐप्स जो कि यूजर्स की बॉडी में ऑक्सीजन लेवल की जांच करने का दावा करते हैं वो नकली हो सकते हैं और ये ऐप आपका पर्सनल डेटा और दूसरी जानकारी फोन से हैक कर सकते हैं. ये हैकर्स यूजर्स की बायोमेट्रिक इंफॉर्मेशन भी चुरा सकते हैं.
क्या है ऑक्सीमीटर ऐप
कोरोना के टाइम में ऑक्सीमीटर ऐप काफी पॉपुलर हुआ है. दरअसल कोरोना होने पर ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है ऐसे में आपकी बॉडी में ऑक्सीजन का क्या लेवल बना हुआ है इस बारे में ऑक्सीमीटर ऐप से पता चल जाता है. हालांकि ऑक्सीमीटर डिवाइस भी ऑफलाइन और ऑनलाइन खूब मिल रही है लेकिन लोगों ने प्रिकॉशन के तौर पर ऑक्सीमीटर ऐप भी डाउनलोड कर लिया है ताकि वो समय समय पर अपनी बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल देखते रहें.
कहां से डाउनलोड करें ऑरिजनल ऐप
कुछ दिन पहले भी साइबर दोस्त ने एडवाइज़री जारी की थी कि यूजर अपने मोबाइल में वेरिफिकेशन और प्रूफ के बाद ही कोई ऐप डाउनलोड करें. साइबर दोस्त की ओर से कहा गया था कि अपने स्मार्टफोन में सीधे एप्पल के ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर से ही कोई ऐप इंस्टॉल करना है. अगर आपको एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया से कोई ऐप या ई वालेट डाउनलोड करने का लिंक आता है तो वो फ्रॉड हो सकता है. इसके अलावा लोगों को कैशबैक, फेस्टिव ऑफर्स या डिस्काउंट कूपन से रिलेटेड फर्जी विज्ञापनों से सचेत रहने के लिये भी कहा गया है.
कैसे पहचानें नकली ऐप
- जब भी यूजर्स गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर पर कोई ऐप सर्च करते हैं तो उसके नाम से कई ऐप्स आते हैं. ऐसे में वो ऐप डाउनलोड करने से पहले उस ऐप का डिस्क्रिप्शन जरूर पढ़ लें.
- ऐप के आइकन पर खास ध्यान दें यह ओरिजिनल ऐप से अलग होते हैं हालांकि ये बिल्कुल असली ऐप जैसे दिखते हैं लेकिन इनके नाम की स्पेलिंग या आइकन में थोड़ा अंतर होता है
- अगर किसी फेमस ऐप का डाउनलोड काउंट कम है तो भी उसे डाउनलोड करने से बचें क्योंकि ओरिजिनल ऐप का डाउनलोड काउंट ज्यादा होता है. फर्जी डेवलपर अपनी डिटेल्स आसानी से नहीं दिखने देते हैं ऐसे में आप ऐप को डाउनलोड करने से पहले डेवलपर का नाम जरूर चेक कर लें.