नई दिल्ली: कोरोनावायरस के कहर के चलते जहां एक और लोग अपने घरों में कैद हैं तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना ने अब इंटरनेट को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. वर्क फ्रॉम होम, स्टडी फ्रॉम होम और लोगों के बेइंतहा इंटरनेट इस्तेमाल से दुनिया भर में इंटरनेट दबाव में आ गया है. भारत में भी लोगों के लॉकडाउन होने के चलते इंटरनेट का इस्तेमाल 30 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ गया है जिसके चलते अगर यह कहें कि इंटरनेट हाफने लगा है तो गलत नहीं होगा.
बंगलुरु जैसे शहर में प्रति व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमाल 100 फ़ीसदी तक बढ़ गया है. वहीं हैदराबाद में तकरीबन 50 फ़ीसदी तो दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे महानगरों में इंटरनेट का इस्तेमाल 30 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ गया है. ऐसे में अगर देखें तो आप कोरोनावायरस ने इंटरनेट को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. वहीं इंटरनेट को लेकर सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि इंटरनेट का प्रति व्यक्ति इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है यानी इंटरनेट पर दबाव लॉक डाउन के साथ साथ बढ़ रहा है.
कैसे काम करता है इंटरनेट?
कोरोनावायरस के चलते इंटरनेट पर बढ़ते दबाव को समझने से पहले आपको जरूरत है कि यह जान लें कि आखिर इंटरनेट काम कैसे करता है. इंटरनेट पर अगर आप कोई ईमेल लिखकर भेजते हैं, कोई व्हाट्सएप मैसेज भेजते हैं या कोई वीडियो ट्रांसफर करते हैं तो वह छोटे छोटे पैकेट में अलग-अलग रास्तों से होकर जाता है जो अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचकर इकट्ठा हो जाता है. कोरोनावायरस के चलते इंटरनेट ट्रेफिक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब यह रास्ते जाम होने लगे हैं.
क्या है मौजूदा स्थिति?
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट राजेश छरिया ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि मौजूदा समय में भारत में तकरीबन 68.7 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जिनमें से 66 करोड़ से ज़्यादा वायरलेस यूज़र्स हैं यानी वो लोग जो मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा लगभग 2.3 करोड़ वायर्ड इंटरनेट यूजर हैं यानी जो लैंडलाइन फोन या ब्रॉडबैंड केबल के जरिये इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा 75 लाख ऐसे इंटरनेट ग्राहक हैं जो फिक्स्ड वायरलेस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, वायरलेस नेटवर्क पर भारत में प्रति ग्राहक हर महीने का औसत डेटा इस्तेमाल 10.37 GB का है.
कोच्ची में खराब पड़ी है सबमरीन केबल
पैरामाउंट कम्युनिकेशन्स लिमिटेड के MD संदीप अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि भारत में लॉक डाउन के चलते इंटरनेट इस्तेमाल 30-40% तक बढ़ गया है. इसके अलावा भारत को दुनिया के दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाली 3 प्रमुख सेफ केबल्स में से कोच्ची में लैंड करने वाली सेफ केबल बीते काफी दिनों से खराब पड़ी है. ऐसे में भारत में इंटरनेट सिस्टम में दरार पड़नी शुरू हो गयी है. अगले सप्ताह भर में ये केबल ठीक होने की उम्मीद है. इसके बाद भारत में इंटरनेट की क्षमता 20% बढ़ने की उम्मीद है. लेकिन, इसके बावजूद इंटरनेट की मांग कोरोनावायरस लॉक डाउन के चलते इतनी बढ़ गई है कि लोगों को आप सोच समझकर इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहिए. नेटफ्लिक्स, स्टार, अमेज़न जैसी तमाम लाइव स्ट्रीमिंग कंपनियां COAI की दरख्वास्त पर पहले ही अपने HD कंटेंट को SD पर चेंज कर चुकी हैं जिससे इंटरनेट का कम इस्तेमाल हो.
क्या है रास्ता?
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट राजेश छरिया का कहना है कि कोरोनावायरस के कहर के चलते सरकार को सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और टेलीकॉम कंपनियों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग को मंजूरी दे देनी चाहिए. इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग के चलते टेलीकॉम ऑपरेटर और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एक दूसरे की खाली पड़ी बैंडविथ का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके चलते ग्राहकों को भी दिक्कत नहीं होगी और नेटवर्क पर जो बोझ पड़ रहा है वह भी नहीं पड़ेगा.
लोगों को क्या करना है?
कोरोना वायरस के चलते लोग घरों में लॉकडाउन है. ऐसे में इंटरनेट का इस्तेमाल बेइंतहा हो रहा है. इसीलिए इस स्थिति को समझते हुए देशवासियों को भी जरूरत है कि इंटरनेट का इस्तेमाल सोच-समझकर करें. संकट के इस दौर में कम्युनिकेशन का सबसे बड़ा नेटवर्क इस समय पर पूरी दुनिया में इंटरनेट ही है. अगर इंटरनेट नेटवर्क हाफने लगा तो दिक्कत है ना सिर्फ भारत के सामने बल्कि दुनियाभर में और ज्यादा बढ़ जाएंगी.
सुझाव...
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करें
वीडियो भेजना बिल्कुल ज़रूरी हो, तो ही भेजें
गुड मॉर्निंग, गुड नाईट मैसेज तत्काल बंद करें
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