Google vs CCI: गूगल ने वार्निंग दी है कि CCI (Competition Commission of India) का नया नियम भारत में स्मार्टफोन को और महंगा बना देगा. इतना ही नहीं, टेक दिग्गज कंपनी ने यूजर्स की सिक्योरिटी को लेकर भी  संभावित खतरे के बारे में चेतावनी दी है. अब यह अचानक से ऐसी वार्निंग क्यों दी जा रहीं हैं, इसको जानने के लिए चलिए इस मामले के थोड़े इतिहास को खंगालते हैं. दरअसल, 2022 में सीसीआई ने दो बार  अलग-अलग तरह से गूगल पर 2273 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. अब 2 तरह से जुर्माने की बात की है तो आइए जानते हैं कि जुर्माना कैसे लगा था.. पहला जुर्माना 20 अक्टूबर 2022 को एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए लगाया गया था, इस आरोप में कंपनी पर 1337 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था. दूसरा जुर्माना 25 अक्टूबर 2022 को प्ले स्टोर के माध्यम से अपने एकाधिकार का दुरुपयोग करने के लिए लगा था, जिसमें जुर्माने के तौर पर  936 करोड़ रुपये की धनराशि तय की गई थी. 


गूगल पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
गूगल CCI के फैसले से तिलमिला चुका है, और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर जा पहुंचा है. कंपनी ने अपना पक्ष पेश करते हुए कहा है कि CCI के इस कदम से भारत में Android की ग्रोथ थम जाएगी. डिटेल में बताया जाए तो  CCI ने गूगल पर फोन में पहले से ही गूगल की एप को  प्री-इंस्टॉल करने के लिए स्मार्टफोन कंपनी के साथ साझेदारी करने का आरोप लगाया था. सीसीआई का मानना है कि गूगल को स्मार्टफोन कंपनी को ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए.  सीसीआई चाहता है कि अन्य इकोससिस्टम भी कार्रवाई में शामिल हो, क्योंकि सीसीआई को लगता है कि वर्तमान में Google का रोब है. हालाँकि, गूगल ने दावा किया है कि उसे एपल से कड़े कंपीटिशन का सामना करना पड़ रहा है.


CCI ने गूगल पे को लेकर कही यह बात
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, CCI ने Google की पेमेंट एप को लेकर कहा है कि वह अपनी पेमेंट ऐप, Google Pay को भारत में चल रहे बाकी पेमेंट एप से बेहतर न समझे. इसके बाद, गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि CCI का आदेश भारत के डिजिटिलीकरण में तेजी लाने के की कोशिशों में बाधा बन सकता है. गूगल ने आगे लिखा कि जब Android को 2008 में लॉन्च किया गया था, तब स्मार्टफोन काफी महंगे थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में,  गूगल ने फ़ोन निर्माताओं के लिए स्मार्टफ़ोन को अधिक किफायती बनाया है.


गूगल का पक्ष
गूगल ने आगे कहा कि कंपनियां Android ऑपरेटिंग सिस्टम के खुद अपने वर्जन बनाती हैं, जो कि गूगल की तरफ से डेवलप वर्जन के जैसे नहीं होते हैं. ऐसे में, गूगल को उन वर्जन को बेहतर सिक्योरिटी देना संभव नहीं हो पता है. स्मार्टफोन निर्माताओं को उन डिवाइसेस की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी खुद से लेनी होगी. आगे लिखा गया कि इसकी वजह से भारतीय यूजर्स के लिए डिवाइस की कीमत महंगी हो सकती है. 


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