क्या नेपाल विमान हादसे की वजह फोन या 5G है... आखिर क्यों विमान में फोन को बंद रखने के लिए कहा जाता है?
नेपाल में एक नयानक प्लान क्रैश हादसा हुआ है. हादसे का वीडियो सामने आने के बाद कुछ इसके पीछे 5G तो कुछ फोन को इसके पीछे की वजह बता रहे हैं. आइए सच्चाई जानते हैं.

Nepal Plan Crash: नेपाल में प्लान क्रैश का एक भयावह हादसा हुआ है. इस हादसे में 68 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में प्लान क्रैश को साफ तौर पर देखा जा सकता है. वीडियो वायरल होने के बाद कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि स्मार्टफोन इस विमान हादसे की वजह है. दूसरी तरफ कुछ लोग 5G को भी इस हादसे की वजह बता रहे हैं. अब इन दोनों दावों में कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़िए. इस आर्टिकल में हम आपको इन सवालों के जवाब देने जा रहे हैं.
विमान में फोन बंद करने का निर्देश क्यों?
अगर आपने फ्लाइट में ट्रैवल किया है या फिर नहीं भी किया है तो सिनेमा में सुना होगा कि फ्लाइट के उड़ान भरने से पहले मोबाइल फोन को बंद करने या फिर फ्लाइट मोड में रखने के लिए कहा जाता है. अब ऐसा क्यों किया जाता है? दरअसल, ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि स्मार्टफोन के सिग्नल की वजह से एयर ट्रैफिक कंट्रोल को प्लेन के पायलट के साथ बातचीत करने में दिक्कत आ सकती है. इससे पायलट को जमीन से प्लेन की ऊंचाई का गलत सिग्नल मिल सकता है. इस सब गलतफहमी की वजह से प्लेन क्रैश भी हो सकता है. हालांकि ऐसा दो चार मोबाइल के ऑन होने से नहीं होता है. कुछ लोगो का मानना यह भी है कि मोबाइल फोन के सिग्नल की वजह से हादसे की संभावना काफी कम है, और ऐसा सिक्योरिटी की वजह से किया जाता है.
क्या नेपाल विमान हादसे में 5G रहा वजह?
दूसरी तरफ विमान हादसे को लेकर 5G का दावा भी सही नहीं लगता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फ्लाइट के लिए 5G C-बैंड नेटवर्क को खतरनाक माना जाता है, जबकि नेपाल में 5G C-बैंड को फिलहाल रोलआउट नहीं किया गया है. अब जब ऐसे बात कही ही है कि 5G C-बैंड नेटवर्क को खतरनाक माना जाता है तो इसकी डिटेल देना का फर्ज भी हमारा ही है. तो चलिए यह भी बताते हैं. दरअसल, Forbes ने एक रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक 5G C-बैंड से एयरक्राफ्ट का रेडियो अल्टीमीटर इंजन और ब्रेकिंग सिस्टम पर असर पड़ सकता है, जिससे प्लेन क्रैश होने की संभावना बढ़ सकती है. बता दें कि 5G C-बैंड फ्रिक्वेंसी पर विमान को रेडियो सिग्नल मिलते हैं. इससे प्लेन और जमीन के बीच की दूरी को कैलकुलेट किया जाता है. इससे धुंध, बर्फ और बरसात के समय लैंडिंग में काफी मदद मिलती है.
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