(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
GPS tracker : जमानत पर रिहा कैदी पुलिस को नहीं दे सकेंगे चकमा, GPS ट्रैकर एंक्लेट करेगा जेल के बाहर निगहबानी
GPS tracker : जीपीएस ट्रैकर से कोई छेड़खानी की जाती है या उसे निकालने की कोशिश की जाती है तो इसका सिग्नल कंट्रोल रूम को मिल जाएगा.
GPS tracker : जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में एक हाईटेक कदम उठाया है, जिसके बाद जमानत पर रिहा हुए आरोपी पुलिस को चकमा देकर गायब नहीं हो सकेंगे. दरअसल जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट (पायल) अभियान शुरू किया है, जिसको जमानत पर रिहा होने वाले आतंकी और कैदियों के पैर में फिट किया जाएगा. आपको बता दें जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ये कदम NIA अदालत के फैसले के बाद उठाया है. इससे पहले यूरोप और अमेरिका में इसी तरह आरोपियों को ट्रैक किया जाता है.
ट्रायल के तौर पर शुरू किया है जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फिलहाल जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट को ट्रायल के तौर पर शुरू किया है, जिसमें पुलिस आतंकवाद से जुडे लोगों, UAPA के आरोपियो और संदिग्ध गतिविधियों वाले लोगों के शरीर पर जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट लगाएगे. इससे पहले, NIA की स्पेशल कोर्ट ने आतंकवाद के आरोपी पर जीपीसी ट्रैकर लगाने के निर्देश दिए थे ताकि वह कहीं फरार न हो सके.
सबसे पहले इस कैदी के लगाया गया जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सबसे पहले जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट को UAPA की धाराओं में मुकदमा दर्ज आरोपी गुलाम मोहम्मद भट नाम के कैदी के लिाया है. गुलाम महोम्मद भट पर हिज्बुल मुजाहिद्दीन के इशारे पर टेरर फंडिंग में शामिल होने का आरोप है. भट को आतंकवादियों के ढाई लाख रुपये ठिकाने लगाते समय गिरफ्तार किया गया था. गुलाम मोहम्मद का कई आतंकी संगठनों से भी लिंक पाया गया था. अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट और एनआईए कोर्ट ने कुछ मामलों में उसे दोषी भी ठहराया है.
कैसे काम करता है यह GPS?
रिपोर्ट के मुताबिक, जेल से रिहा हो रहे लोगों के टखने पर एक ट्रैकर लगाया जा रहा है. यह ट्रैकर पुलिस के कंट्रोल रूम से कनेक्टेड होगा. जरूरत पड़ने पर पुलिस उस आरोपी को किसी भी समय ढूंढकर उस तक पहुंच सकेगी. इसके अलावा, लोगों की गतिविधियों पर नजर भी रखी जा सकती है. आतंकवाद से जुड़े लोगों के बारे में यह जानकारी भी जुटाई जा सकती है कि वे कहां जाते हैं और किससे मुलाकात करते हैं. पुलिस को उम्मीद है कि इससे इन लोगों में डर बैठेगा और इनकी गतिविधियों पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.
अगर जीपीएस ट्रैकर से कोई छेड़खानी की जाती है या उसे निकालने की कोशिश की जाती है तो इसका सिग्नल कंट्रोल रूम को मिल जाएगा. इसके अलावा, अगर आरोपी तय जगह से बाहर कहीं जाने की कोशिश करता है तब भी इसकी जानकारी परोल ऑफिसर को मिल जाएगी.
यह भी पढ़ें:
सर्दियों में फ्रिज से क्यों आती है कट-कट की आवाज? नुकसान से बचना है तो जान लें वजह