जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे में बच सकती थी लोगों की जान! काम नहीं आई रेलवे की ये टेक्नोलॉजी
West Bengal Train Accident: "कवच" सिस्टम लोको पायलट के सिग्नल तोड़ते ही एक्टिव हो जाता है. जिसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और ट्रेन के ब्रेक्स को अपने कंट्रोल में ले लेता है
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Kanchanjunga Express Accident: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है. जहां पर पीछे से आ रही मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस में टक्कर मार दी. जिससे कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई सारी बोगियां पटरी से उतर गईं. इस हादसे में अबतक 15 लोगों का मौत हो चुकी है. वहीं घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. कंचनजंगा एक्सप्रेस सियालदाह जा रही थी. जिस वक्त ये हादसा हुआ है. फिहलाल रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. इस रेल हादसे के बाद लोगों के मन में "कवच" को लेकर सवाल उठ रहा है. जिनको न पता हो उनको बता दें कि "कवच" रेलवे के द्वारा बनाया गया प्रोटेक्शन सिस्टम है. जोकि रेल हादसों को रोकने के लिए बनाया गया है. अभी रेलवे की तरफ से "कवच" को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है. तो चलिए जानते हैं कि "कवच" कैसे काम करता है.
क्या है "कवच"
रेलवे ने हो रहे रेल हादसों को रोकने के लिए 2012 में "कवच" पर काम करना शुरू किया था. "कवच" एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. जिसका एक ही काम है, और वो रेल हादसों को रोकना है. रेलवे ने इस सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) की मदद से डेवलप किया है. पहले इसका नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. "कवच" का सबसे पहले ट्रायल 2016 में शुरू हुआ था. जिसका अब चरणबद्ध तरीके रेलवे द्वारा इंस्टालेशन किया जा रहा है. फिलहाल "कवच" को 1,500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर इंस्टाल कर दिया गया है. सरकार का प्लान इसे 34,000 किलोमीटर तक कवर करने का है.
कैसे काम करता है "कवच"
"कवच" सिस्टम लोको पायलट के सिग्नल तोड़ते ही एक्टिव हो जाता है. जिसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और ट्रेन के ब्रेक्स को अपने कंट्रोल में ले लेता है. इसके अलावा Radio Frequency Identification पटरियों और स्टेशन यार्ड तथा सिग्नल पर पटरियों की पहचान करने में और ट्रेन की दिशा का पता लगाने के लिए लगाए जाते हैं. जब सिस्टम सक्रिय होता है, तो 5 किमी के भीतर सभी ट्रेनें रुक जाती हैं ताकि बगल की पटरी पर मौजूद ट्रेन सुरक्षित रूप से गुजर सके.
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