iCloud Vs Jio AI Cloud: रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने जियो एआई क्लाउड (Jio AI-Cloud) ऑफर लॉन्च करने की घोषणा कर दी है. इस ऑफर में अब हर जियो यूजर को 100 जीबी क्लाउड स्टोरेज फ्री में दिया जाएगा. मुकेश अंबानी ने बताया कि जियो एआई क्लाउड वेलकम ऑफर (Jio AI-Cloud Welcome offer) को इसी साल दिवाली के मौके पर लॉन्च किया जाएगा. वहीं बता दें कि एप्पल के आईक्लाउड में लोगों को महज 5GB का फ्री स्टोरेज मिलता है. गूगल अपने यूजर्स को 15GB का फ्री क्लाउड स्टोरेज प्रदान करता है.


क्या होता है क्लाउड स्टोरेज


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि क्लाउड स्टोरेज कंप्यूटर डेटा स्टोरेज का एक तरीका है. इसमें डिजिटली डेटा को सिक्योर किया जाता है. इसमें यूजर डेटा को फोन या डिवाइस से अलग सर्वर पर स्टोर करता है. वहीं बता दें कि इन सर्वरों का मेंटेनेंस एक थर्ड पार्टी प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है. इसके साथ ही प्रोवाइडर यह भी कंफर्म करता है कि उसके सर्वर पर डेटा हमेशा सार्वजनिक या निजी इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से सुलभ हो.


Google देता है 15GB स्टोरेज


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गूगल द्वारा अपने यूजर्स को 15जीबी का फ्री क्लाउड स्टोरेज दिया जाता है. इसमें यूजर 15जीबी तक के फोटो, वीडियो जैसे अन्य सामग्री को स्टोर कर सकते हैं. वहीं 15जीबी के बाद लोगों को सब्सक्रिप्शन प्लान खरीदना पड़ेगा.


गूगल का 100जीबी स्टोरेज लेने के लिए आपको प्रति माह 35 रुपये देना होगा. वहीं 2टीबी तक के स्टोरेज को लेने के लिए आपको 160 रुपये प्रति माह देना होगा. हालांकि आपको बता दें कि बिजनेस यूजर्स को गूगल 100जीबी तक फ्री क्लाउड स्टोरेज प्रदान करता है.


iCloud में मिलता है इतना स्टोरेज


एप्पल द्वारा आईक्लाउड में लोगों को मात्र 5जीबी का फ्री क्लाउड स्टोरेज दिया जाता है. इसके बाद लोगों को सब्सक्रिप्शन प्लान खरीदना होगा. आईक्लाउड में 50जीबी स्टोरेज के लिए लोगों को 75 रुपये प्रति माह देने होंगे. वहीं 200जीबी स्टोरेज के लिए 219 रुपये प्रतिमाह, 2टीबी स्टोरेज के लिए 749 रुपये प्रति माह, 6टीबी स्टोरेज के लिए 2999 रुपये प्रति माह और 12टीबी स्टोरेज के लिए आपको 5900 रुपये प्रति माह देने होंगे.


कैसे काम करता है क्लाउड स्टोरेज


दरअसल, क्लाउड स्टोरेज डेटा जैसे फोटो, वीडियो, फाइल्स को बचाने के लिए एक रिमोट सर्वर का इस्तेमाल करता है. अब यूजर्स इंटरनेट कनेक्शन के जरिए इस रिमोट सर्वर पर अपना डेटा अपलोड कर देता है, जहां इसे भौतिक सर्वर पर वर्चुअल मशीन पर सहेजा जाता है. वहीं अगर स्टोरेज की जरूरतें बढ़ती हैं, तो क्लाउड प्रोवाइडर लोड को संभालने के लिए और अधिक वर्चुअल मशीनों को स्पिन करेगा. यूजर क्लाउड स्टोरेज में इंटरनेट कनेक्शन और सॉफ्टवेयर के जरिए अपने डेटा को आसानी से एक्सेस भी कर सकते हैं.


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