Jio Satellite Network Launching Soon: डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने रिलायंस जियो को लेटर ऑफ इंटेंट (Letter of Intent- LOI) जारी कर दिया है. इसके अनुसार रिलायंस जियो अब सैटेलाइट यूनिट लगा सकता है और उसपर तेजी से काम कर सकता है. इसी के साथ रिलायंस जियो ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन सैटेलाइट (GMPCS) सेवाओं को भारत में जल्द से जल्द ला सकती है.


क्या है जियो के सैटेलाइट यूनिट?


जियो का सैटेलाइट यूनिट (Jio Satellite Unit) मोबाइल सैटेलाइट नेटवर्क के मीडियम-अर्थ ऑर्बिट (Medium Earth Orbit) और लो-अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit), के साथ साथ जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट के साथ सिंक होकर वर्क करेगा. साथ ही आपको बता दें कि जियो के सैटेलाइट यूनिट को जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिमिटेड भी कहा जाता है.


खबरों की मानें तो जियो ने सैटेलाइट इंटरनेट के लिए SES कंपनी से पार्टनरशिप की है, यह कंपनी ग्लोबली उपग्रह-आधारित कनेक्टिविटी देने का काम करती है. इस पार्टनरशिप में जियो प्लेटफॉर्म्स के पास 51% की पार्टनरशिप होगी और वहीं SES के पास 49% इक्विटी हिस्सेदारी (Equity Partnership) होगी. 


सैटेलाइट इंटरनेट किस तरह काम करता है?


सैटलाइट इंटरनेट में वायर (Wire) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि इसकी जगह लेजर बीम यूज करके स्पेस (Space) से डाटा को ट्रांसफर (Transfer) करते हैं. इसी के साथ लेजर का सिग्नल अच्छा रखने के लिए एक सैटेलाइट अपने पास के चार और सैटेलाइट्स से कम्युनिकेशन बनाता है और फिर वो सभी सैटेलाइट्स चार दूसरे सैटेलाइट्स से संपर्क बनाते हैं. इस तरह देखते ही देखते आसमान में सैटेलाइट्स का एक नेटवर्क प्रिपेयर हो जाता है. यह नेटवर्क ग्राउंड पर हाई स्पीड इंटरनेट (High Speed Network) देता है और यह स्पीड ब्रॉडबैंड से भी अधिक होती है. इस तरह सैटेलाइट नेटवर्क उन क्षेत्रों में इंटरनेट देता है जहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं होती या इंटरनेट स्पीड की दिक्कत आती है.


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