क्‍या आप जानते हैं डिजिटल संपत्ति क्या होती है? किसी की मौत के बाद सोशल मीडिया अकाउंट का क्‍या होता है? दरअसल ये सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म कंपनियों की प्राइवेसी पॉलिसी पर निर्भर करता है. 21वीं सदी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया पोस्ट डिजिटल संपत्ति का रूप है. किसी के मरने के बाद सोशल मीडिया अकाउंट्स तक पहुंच के लिए सोशल मीडिया कंपनियों ने कई तरीके अपना रखे हैं. जिससे अन्य यूजर किसी हद तक मरनेवाले के डेटा तक पहुंच हासिल कर लेते हैं.


Facebook
फेसबुक पर मरनेवालों के अकाउंट को बतौर यादगार सुरक्षित कर लिया जाता है. फिर भी अगर यूजर चाहें तो मौत के बाद फेसबुक अकाउंट डिलीज करने के लिए भी उसे सेट किया जा सकता है. फेसबुक ने ऐसी सुविधा दी है जिसके तहत आपका नामजद किया घर का कोई सदस्य या परिचित आपके मरने के बाद अकाउंट तक पहुंच बना सकता है. मगर ये याद रहना चाहिए कि पहुंच पोस्ट और तस्वीरों तक होती है, निजी मैसेज तक नहीं. ये नामजद शख्स आपके अकाउंट से आखिरी पोस्ट कर लोगों को किसी अनहोनी घटना की जानकारी दे सकता है. फेसबुक पर मरने के बाद के हवाले से सेटिंग, सिक्यूरेटी पर क्लिक और लीगेसी कंटैक्ट पर जाना होगा. अगर आप इसे यादगार के तौर पर रखना चाहते हैं तो आपके फेसबुक अकाउंट पर आपके नाम के ठीक बाद ‘रिमेंबर' का ऑप्‍शन दिखाई देगा.


Twitter
ट्विटर का कहना है कि उसके यूजर को मौत के बाद किसी शख्स की मदद से अकाउंट डिलीट करने का विकल्प रहता है. मृतक का ट्विटर अकाउंट डिलीट कराने के लिए घर वालों को अपना पहचान पत्र और मरनेवाले का डेथ सर्टिफिकेट मुहैया कराना होता है. ट्विटर किसी भी सूरत में मरनेवाले के अकाउंट तक किसी दूसरे शख्स को पहुंच बनाने की इजाजत नहीं देता है.


Instagram
इंस्टाग्राम भी फेसबुक की तरह मृतक के अकाउंट को यादगार में बदल देता है. मगर फेसबुक और इंस्टाग्राम के अकाउंट्स में कुछ फर्क होता है. इंस्टाग्राम किसी को भी लॉग इन होने की इजाजत नहीं देता है और न ही 'लाइक्स' 'फॉलोवर', 'टैग्स', 'कमेंट्स' और 'पोस्ट' बदले जा सकते हैं. मरनेवाले की पोस्ट शेयर की जा सकती हैं मगर उन अकाउंट्स को सर्च इंजन में जाहिर नहीं किया जाता है.


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