World First Earphone/Headphone: दिल्ली जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में ईयरफोन, इयरबड्स या हेडफोन क्या भूमिका निभाते हैं इस बात से तो आप सभी वाकिफ ही होंगे. मेट्रो में आज अमूमन हर व्यक्ति के कान में या तो ईयरफोन लगे होते हैं या हेडफोन. बाजार में आज ईयरफोन 40 से 50 रुपये में भी मिल जाते हैं. क्या आप जानते हैं जिस ईयरफोन को आज आप इतने सस्ते में खरीद पा रहे हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई थी? दुनिया का पहला एयरफोन कैसा दिखता था? शायद ही कोई इस बारे में जानता होगा. आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि दुनिया का पहला ईयरफोन कैसा दिखता था, इसे कब बनाया गया और फिर कैसे हेडफोन की शुरुआत हुई.
टेलीफोन के रिसीवर से आया इयरफोन/हेडफोन का आइडिया
हेडफोन या ईयरफोन का आईडिया टेलीफोन के जरिए आया. उस समय टेलीफोन के जरिए ही इलेक्ट्रिकल सिग्नल को लोग साउंड के माध्यम से सुन पाते थे. टेलीफोन के रिसीवर वाले हिस्से से ही ईयरफोन या हेडफोन का आईडिया पनपा और फिर इस पर काम शुरू हुआ. बता दें, 1880 में पहला हेडफोन एक टेलिफोन ऑपरेटर के द्वारा इस्तेमाल किया गया था जिसे Ezra Guilliland ने बनया था. इसे हेडफोन नहीं कहा जा सकता था क्योंकि इसमें सुनने के लिए एक ही Earpiece था जबकि दूसरी तरफ कंधे में हेडफोन का रिसीवर होता था. इस हेडफोन का वजन 4.5 किलोग्राम था. इसके बाद 1891 में एक फ्रेंच इंजीनियर Ernest Mercadier ने इयरफोन पर काम करना शुरू किया. कई एक्सपेरिमेंट करने के बाद वे एक छोटा इयरफोन बनाने में कामयाब हुए जिसे उन्होंने “bi-telephone” के नाम से पेटेंट करवाया. इसे ही दुनिया का पहला ईयरफोन कहा गया.
सही मायनों में पहला हेडफोन इस साल विकसित हुआ
दुनिया का पहला हेडफोन ब्रिटिश कंपनी इलेक्ट्रोफोन ने 1894 में विकसित किया था. कंपनी ने हेडफोन का आविष्कार इसलिए किया ताकि उसके ग्राहक घर बैठे करंट न्यूज़ या ब्रिटेन के थिएटर में हो रहे लाइव परफॉर्मेंस को सुन सके. ये हेडफोन आज के हेडफोन से थोड़ा अलग थे और Stethoscope की तरह दिखते थे जिन्हें हाथ से पकड़कर रखना पड़ता था.
इसके बाद 1910 में अमेरिकन नेवी रेडियो कम्युनिकेशन के नए-नए तरीके ढूंढ रही थी. उसी दौर के एक इंजीनियर Nathaniel Baldwin ने फर्स्ट जनरेशन ऑफ मॉडर्न हेडफोन की खोज की. ये हेडफोन आज के जमाने में यूज होने वाले हेडफोन की तरह ही दिखते थे. कहा जाता है कि इस हेडफोन की खोज Nathaniel Baldwin ने किचन की टेबल पर बैठकर की थी. इसके बाद उन्होंने इस हेडफोन के मॉडल को एक अमेरिकन नेवी के ऑफिसर को दिखाया लेकिन तब लोगों ने इस हेडफोन को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. कुछ ट्रायल के बाद नेवी के ऑफिसर्स ने पाया कि ये हेडफोन पहले अविष्कार किए गए सभी हेडफोन से बेहतर था और इसमें आवाज साफ-साफ सुनाई देती थी. ये हेडफोन यूज करने में भी काफी आरामदायक था. इसके बाद फिर जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अच्छी होते गई वैसे-वैसे नए और एडवांस इयरफोन और हेडफोन आते गए.
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