Lebanon Pagers Explosion: मंगलवार को लेबनान और सीरिया के कुछ इलाकों में जबरदस्त ब्लास्ट हुए. इस ब्लास्ट में पेजर का इस्तेमाल किया गया. पेजर के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं चल पा रहा होगा कि आखिर ये है क्या. वहीं, इस ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियां जांच में जुट गई हैं.
दरअसल, पेजर एक छोटा सा वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस होता है जिसे खासतौर पर मैसेज भेजने और रिसीव करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस आसान भाषा में बीपर भी कहा जाता है. 1980 और 1990 के दशक में पेजर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ था. उस समय मोबाइल को ज्यादा लोग यूज नहीं करते थे.
जानें क्यों होता है पेजर का इस्तेमाल
ज्यादातर लोग पेजर का इस्तेमाल बेस स्टेशन या किसी सेंट्रल डिस्पैच से रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए मैसेज रिसीव करने के लिए करते हैं. ये मैसेज न्यूमैरिक, जैसे- फोन नंबर, या अल्फान्यूमैरिक जैसे- टेक्स्ट हो सकते हैं. मैसेज भेजने के लिए टू-वे पेजर्स का इस्तेमाल किया जाता है. जब कोई मैसेज आता है तो पेजर की टोन बजती है. पेजर मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर नहीं करता है. इसलिए ये कम्युनिकेशन का भरोसेमंद जरिया माना जाता है. मुश्किल हालात में ये अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने में मददगार साबित होता है.
किन देशों में आज भी इस्तेमाल होता है पेजर?
बता दें कि पेजर का इस्तेमाल अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, कनाडा, स्विट्जरलैंड जैसे देशों में होता है. इसका इस्तेमाल हॉस्पिटल और हेल्थकेयर सेक्टर में किया जाता है. हालांकि, उनकी संख्या बहुत कम है. जिन देशों में इंटरनेट की कवरेज बेहद खराब है, वहां इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
इतने तरह के होते हैं पेजर
बता दें कि पेजर में स्ट्रांग बैटरी लाइफ मिलती है. ये सिंगल चार्ज में पूरे हफ्ते चल जाता है. यह मोबाइल की तुलना में जल्दी मैसेज सेंड करता है. पेजर दो तरह का होता है. पहले वन-वे-पेजर- इसमें यूजर्स केवल मैसेज रिसीव कर सकते थे, लेकिन जवाब नहीं दे सकते थे. वहीं, टू-वे-पेजर में मैसेज रिसीव करने के साथ ही जवाब भी भेजा जा सकता है.
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