(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Linkedin के सह-संस्थापक ने बनवाया खुद का नकली अवतार, और फिर दिया असली इंटरव्यू, वायरल हुआ ये वीडियो
Deepfake Technology: लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन ने डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अपना एक डिजिटल ट्विन बनाया और उसका उपयोग एक इंटरव्यू के लिए किया. आइए हम आपको यह वायरल वीडियो दिखाते हैं.
AI Technology: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का चलन भारत समेत पूरी दुनिया में काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस टेक्नोलॉजी के कई फायदे और नुकसान हैं. नुकसान की बात करें तो पिछले कुछ महीनों में एआई टेक्नोलॉजी की मदद से डीपफेक कंटेंट ने लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है. डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें एआई टेक्नोलॉजी की मदद से किसी असली इंसान का एकदम असली दिखने और लगने वाला नकली रूप भी बनाया जा सकता है.
लिंक्डइन के सह-संस्थापक ने किया अनोखा प्रयोग
पिछले कुछ महीनों में भारत समेत दुनिया के कई देशों में डीपफेक का गलत इस्तेमाल करने वाली घटनाओं की ख़बरें आई हैं. हालांकि, इस टेक्नोलॉजी का एक सकारात्मक पक्ष भी हो सकता है, जिसके बारे में लिंक्डइन के सह-संस्थापक ने चर्चा की है. दरअसल, लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन ने हाल ही में एक बेहद अनोखा प्रयोग किया, जिसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है.
इस प्रयोग में लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन ने अपने आपको डीपफेक करके एक इंटरव्यू दिया. इसका मतलब है कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी की मदद से उन्होंने खुद अपना एक नकली रूप तैयार करवाया और फिर एक इंटरव्यू दिया. उनके इस अनोखे प्रयोग ने न केवल टेक्नोलॉजी वर्ल्ड में एक नई चर्चा शुरू कर दी है, बल्कि डिजिटल वर्ल्ड की कुछ नई संभावनाओं की झल्कियां भी दिखाई हैं.
नकली अवतार ने दिया असली इंटरव्यू
हॉफमैन ने डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपना ही क्लोन यानी जुड़वां बनाया, जो दिखने, बोलने, चलने यहां तक कि भावों में भी एकदम असली हॉफमैन जैसा ही लग रहा था. उसके बाद हॉफमैन के नकली रूप में एक असली इंटरव्यू दिया, जिसमें उनका डिजिटल अवतार उनकी भाव, फेशियल एक्सप्रेशन्स और बातचीत के स्टाइल को कॉपी करता हुआ दिखाई दे रहा है.
लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन का कहना है कि उन्होंने यह प्रयोग इसलिए किया है, क्योंकि वो डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी की क्षमताओं का परीक्षण करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि डीपफेक टेक्नोलॉजी बहुत सारे लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन इसके सकारात्मक पहलुओं को भी जानना काफी जरूरी है.
हॉफमैन ने इस खास प्रयोग के बारे में बात करते हुए कहा कि, मेरा यह नया प्रयोग खुद का एआई जेनरेटिव वर्ज़न बनाना है. यह इसलिए नहीं है कि मैं खुद का एक और 'मैं' बनाना चाहता हूं. मुझे लगा था कि ये चीज मुझे पसंद नहीं आएगी, लेकिन मैं यह जानने के लिए काफी उत्सुक था कि इस टेक्नोलॉजी से क्या-क्या संभव है और सकारात्मक है." उन्होंने आगे कहा कि, "एक शक्तिशाली टेक्नोलॉजी आ चुकी है. इसके साथ भविष्य में जाने के लिए और भविष्य को एक बेहतर आकार देने के लिए जागरुकता और विचारशील होना बहुत महत्वपूर्ण है."
So “Digital Twins”
— Vijay Shekhar Sharma (@vijayshekhar) May 10, 2024
Will that a legit new term for your AI version ? pic.twitter.com/4J4CzT70mp
आपको बता दें कि लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन के द्वारा किए गए इस अज़ूबे प्रयोग ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. लोग इस पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. उनमें से एक पेटीएम के संस्थापक विजय शेकर शर्मा की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. इस तरह के प्रयोग से न सिर्फ टेक्नोलॉजी वर्ल्ड में नई चर्चाएं शुरू होती हैं, बल्कि यह हमें डिजिटल वर्ल्ड में मौजूद अनंत संभावनाओं के बारे में सोचने के लिए भी मजबूर करता है.
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