AI Technology: आर्टिफिशिलय इंटेलीजेंस यानी एआई टेक्नोलॉजी की चर्चाएं पिछले काफी दिनों से भारत समेत पूरी दुनिया में काफी ज्यादा हो रही है. इस टेक्नोलॉजी ने सिर्फ पिछले कुछ महीनों में ही पूरी दुनिया में काफी नाम कमा लिया है. इस टेक्नोलॉजी के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन कई बड़े नुकसान भी हैं.
इस वजह से भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने कहा है कि भारत में किसी भी कंपनी को अपना एआई मॉडल या कोई भी एआई प्रॉडक्ट लॉन्च करने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी.
एआई के लिए सरकार ने बनाया नियम
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल के लॉन्च के संबंध में कंपनियों के लिए एक नई सलाह जारी की है. भारत में एआई मॉडल लॉन्च करने से पहले किसी भी कंपनी यानी प्लेटफॉर्म्स या मध्यस्थों को केंद्र से स्पष्ट अनुमति लेनी होगी.
MeitY ने पहले पिछले साल दिसंबर में सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए एक सलाह भी जारी की थी, जिसमें उन्हें मौजूदा आईटी नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया था. सरकार ने विशेष रूप से डीपफेक टेक्नोलॉजी से निपटने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सलाह दी थी और आईटी नियमों का पालन करने का निर्देष दिया था.
इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी
भारत में एआई मॉडल लॉन्च करने से पहले ध्यान रखने वाली जरूरी बातें:
अनुमति की आवश्यकता जरूरी: सभी प्लेटफॉर्म्स को एआई मॉडल लॉन्च करने से पहले सरकार से स्पष्ट अनुमति लेनी होगी. कंपनियों को अपने यूज़र्स को उस एआई टेक्नोलॉजी के नुकसानों की जानकारी देनी होगी.
नियमों का पालन करना जरूरी: मध्यस्थों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में मेंशन किए गए अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा.
कंटेंट का ध्यान रखना जरूरी: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और कंपनियों को गैरकानूनी कंटेंट को प्लेटफॉर्म पर रखने, उसकी शेयरिंग और मोडिफिकेशन से बचना चाहिए. इसके अलावा उन्हें चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा करते हुए एकतरफा स्थिति या भेदभाव से बचना चाहिए.
यूज़र्स की जागरूकता जरूरी: यूज़र्स को एआई से क्रिएट की गई तस्वीरों से होने वाले नुकसान और उससे जुड़े मामलों में अकाउंट निलंबित से लेकर लीगल एक्शन तक सबकुछ की जानकारी होनी चाहिए.
लेबल करना जरूरी: कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म में मौजूद मिसलीडिंग कंटेंट या संभावित रूप से मिसलीडिंग कंटेंट को लेबल करना भी जरूरी होगा, ताकि यूज़र्स आसानी से समझ जाएं कि वो कंटेंट गलत या भ्रामक हो सकता है.
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