Microsoft ने चीन में क्यों बैन किया एंड्रॉयड डिवाइस? सभी एंपलॉयर्स को मिलेगा iPhone 15
Microsoft in China: माइक्रोसॉफ्ट ने चीन में एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. अब माइक्रोसॉफ्ट के एम्पलॉयर्स चीन में मौजूद अपने ऑफिस में एंड्रॉयड डिवाइस यूज़ नहीं कर पाएंगे.
No Android Gadgets In Office: दुनिया की बड़ी टेक जायंट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने चीन में अपने एम्प्लॉयर्स से एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल करने से मना किया है. कंपनी के इस एलान के बाद से पूरी दुनिया हैरान है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट ने यह फैसला साइबर सिक्योरिटी और डेटा ब्रीच जैसी समस्यों से बचने के लिए लिया है.
आजकल दुनियाभर में डेटा लीक के कई मामले सामने आते रहते हैं. माइक्रोसॉफ्ट के इस कड़े और बड़े फैसले का कारण डेटा लीक की समस्या को ही माना जा रहा है. यही नहीं, रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी चीन में अपने ऑफिस में साइबर सिक्योरिटी को लेकर आगे और भी कड़े कदम उठा सकती है. कंपनी ने अपने एम्प्लॉयर्स से एंड्रॉइड डिवाइस की जगह पर एप्पल गैजेट्स यूज करने का निर्देष दिया है.
माइक्रोसॉफ्ट ने क्यों लिया ये फैसला
रिपोर्ट्स के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट में ऑथेंटिकेटर और आइडेंटिटी पास जैसे सिक्योरिटी लेवल को मैनेज करने के लिए गूगल मोबाइल सेवाओं (GMS) की आवश्यकता होती है. हालांकि, चीन में प्ले स्टोर सहित गूगल की कई सर्विस काम नहीं करती है.
इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि चीन में एप्पल के iOS स्टोर है, मगर गूगल प्ले स्टोर उपलब्ध नहीं है. इसके बदले Huawei और Xiaomi जैसे लोकल स्मार्टफोन ब्रांड्स ने अपने प्लेटफॉर्म को लोगों के लिए उपलब्ध कर रखा है. जानकारों का मानना है कि एंड्रॉइड डिवाइस को हैक करना आसान है. ऊपर से चीन में गूगल प्ले का न होना माइक्रोसॉफ्ट की टेंशन बढ़ा रहा है.
एंड्रॉयड नहीं, iPhone का करेंगे इस्तेमाल
कंपनी के मुताबिक एंड्रॉयड फोन को बंद करना उसके सिक्योर फ्यूचर इनिशिएटिव के अंदर आता है. इसके बाद से माइक्रोसॉफ्ट में एम्पलॉयर्स ऑफिस के कामों के लिए एंड्रॉइड के बजाय आईफोन का इस्तेमाल करेंगे. जानकारी के मुताबिक कंपनी सितंबर महीने से चीन के ऑफिस कैंपस में एंड्रॉयड ओएस से चलने वाली डिवाइस का एक्सेस बैन कर देगी.
इस फैसले को आसान बनाने के लिए कंपनी कर्मचारियों को iPhone 15 डिवाइस दे रही है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि हाल ही में अमेरिकी सरकारी एजेंसियों पर साइबर हमलें हुए थे. जिनके पीछे रूस का हाथ बताया जा रहा था. ऐसे ही किसी साइबर हमलें को रोकने के लिए ये सुरक्षा कदम उठाए जा रहे हैं.
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