Common Charger for All Devices: मोबाइल छोटा हो या बड़ा या फिर कोई भी लैपटॉप, सबका चार्जिंग सॉल्यूशन हो सकता है सिर्फ टाइप-C
Single Charger for All: भारत नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को लेकर काम कर रहा है. ये उसी की दिशा में उठाया गया कदम है. कोशिश की जाएगी कि इसमें शामिल ज्यादा से ज्यादा कंपोनेंट पर्यावरण अनुकूल हों.
One Country, One Charger: देश में बढ़ते ई-वेस्ट को ध्यान में रखते हुए, इलेक्ट्रिक डिवाइस बनाने वाली कंपनियां अब लैपटॉप, मोबाइल जैसी कुछ और डिवाइस के लिए एक ही चार्जर बनाने पर सहमति हुईं हैं. इससे ई-वेस्ट में तो कमीं आएगी ही, साथ ही डिवाइस की चार्जिंग में भी सहूलियत होगी. हालांकि अभी तक किसी चार्जर के पैटर्न को फाइनल नहीं किया गया. इसके लिए बनी एक टास्क फाॅर्स जल्द इसका निर्णय करेगी. आइये आपको बताते हैं सिंगल चार्जर पोर्ट के क्या फायदे होंगे और ये क्यों जरूरी है.
उपभोक्ता मंत्रालय की अहम भूमिका
एक देश एक चार्जर की पहल को आगे बढ़ाने में उपभोक्ता मंत्रालय की मुख्य भूमिका रही. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली टास्क फाॅर्स बैठक में इस फैसले पर मुहर लगायी गयी. साथ ही इस बैठक में MAIT, FICCI, CII, IIT कानपुर, IIT (BHU) जैसे कई शैक्षणिक संस्थानों के साथ ही, पर्यावरण मंत्रालय और केंद्र सरकार के मंत्रालयों के तमाम प्रतिनिधी भी मौजूद रहे. साथ-साथ एक कॉमन चार्जर पर भी सभी की सहमति भी बनी.
इन डिवाइस के चार्जर होंगे एक जैसे
लेटेस्ट मोबाइल, लैपटॉप के साथ, अन्य इलेक्ट्रिक डिवाइस के लिए फ़िलहाल यूएसबी टाइप सी चार्जर पर सबकी सहमति बनी है. लेकिन फीचर फोन के लिए अलग चार्जर रखा जा सकता है. हालांकि अभी किसी भी चार्जर को फाइनल नहीं किया गया है. इसके लिए एक टीम गठित कर दी गयी है, जो जल्द ही चार्जर के प्रारूप को फाइनल करेगी.
एक देश एक चार्जर क्यों?
दरअसल, भारत 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को लेकर काम कर रहा है. ये उसी की दिशा में उठाया गया एक और कदम है. साथ ही कोशिश की जाएगी कि इसमें शामिल ज्यादा से ज्यादा कंपोनेंट पर्यावरण अनुकूल हों. एक देश एक चार्जर से ई-वेस्ट में कमी आएगी, साथ ही डिवाइस में प्रयोग होने वाले अलग-अलग चार्जर की समस्या से भी निजात मिलेगी.
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