भारत में अगले महीने से शुरू हो सकता है 5G का ट्रायल, लेकिन चीनी कंपनियों को नहीं मिलेगी इजाजत
देश में अभी तक 4G सर्विस चल रही है, जिसकी शुरुआत 2012 में ब्रॉडबैंड के तौर पर हुई थी. 2014 में एयरटेल ने इसे मोबाइल सेवा में भी उतारा था. इसके बाद धीरे-धीरे सभी प्रमुख कंपनियां इस सेवा में उतर गई थीं.
नई दिल्लीः देश में टेलीकॉम सेक्टर को नई टेक्नोलॉजी की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए 5G सेवा पर तेजी से काम चल रहा है. माना जा रहा है कि अगले महीने यानी सितंबर से इसके ट्रायल की शुरुआत भी हो सकती है. इसके लिए दूरसंचार विभाग कंपनियों को स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है ताकि इसका ट्रायल किया जा सके. हालांकि, स्पेक्ट्रम की नीलामी अभी नहीं होगी.
6 महीने के ट्रायल के बाद ही नीलामी
बिजनेस चैनल सीएनबीसी-टीवी 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार विभाग देश में इस सेवा को पूरी तरह से शुरू करने से पहले इसका अच्छे से ट्रायल करना चाहता है. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से दावा किया गया है कि कंपनियों को कम से कम 6 महीनों तक 5G डिवाइस और स्पेक्ट्रम का ट्रायल करना होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर यह ट्रायल सफल होता है तो उसके बाद ही अगले साल ही 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी पर सरकार विचार करेगी. 5G के आने से देश में इंटरनेट की स्पीड में और ज्यादा तेजी आएगी और लोगों का इंटरनेट अनुभव बेहतर होगा.
देश में अभी तक 4G सर्विस चल रही है, जिसकी शुरुआत 2012 में ब्रॉडबैंड के तौर पर हुई थी. 2014 में एयरटेल ने इसे मोबाइल सेवा में भी उतारा था. इसके बाद धीरे-धीरे सभी प्रमुख कंपनियां इस सेवा में उतर गई थीं.
सिर्फ 3 कंपनियों को एंट्री, चीनी कंपनियों को इजाजत नहीं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस ट्रायल के लिए चीन की कंपनियों को एंट्री नहीं दी जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम विभाग ने सुझाव दिया है कि चीन की कंपनियां 5G सेवा के ट्रायल या नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकतीं.
टेलीकॉम विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस ट्रायल में शामिल होने के लिए नोकिया, सैमसंग और एरिक्सन को ही इजाजत मिली है. इन्हीं कंपनियों की डिवाइस पर सबसे पहले 5G सेवा का ट्रायल किया जाएगा.
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