नई दिल्ली: ओटीपी नंबर के जरिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को काफी सुरक्षित माना जाता है लेकिन शातिर साइबर अपराधियों ने अब इसका भी तोड़ निकाल लिया है. बैंक यह सलाह देते हैं कि अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का पिन नंबर या ओटीपी नंबर किसी को नहीं बताना चाहिए. ऐसा करने से आप किसी धोखाधड़ी से बचे रहेंगे. लेकिन अब अपराधी बिना ओटीपी नंबर के ही आर्थिक अपराध को अंजाम देने लगे हैं.


बिना ओटीपी के आर्थिक अपराध करने के लिए अपराधियों ने एक तरीका ढूंढा है जिसमें वे लोगों से किसी तरह एक एप डाउनलोड करा लेते हैं. बाद में इसी एप के जरिए सारी जानकारी चुराकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है.


ऐसे होता है फ्रॉड

-ऐसी धोखाधड़ी करने वाले ज्यादातर पेटीएम केवाईसी के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं. ग्राहकों को फोन कर कहा जाता है कि आपका केवाईसी नहीं हुआ है, करवा लें अगर नहीं करवाएंगे तो पेटीएम अकाउंट 24 घंटे में बंद कर दिया जाएगा.


-कॉल करने वाला यह भी कहता है कि कोरोना महामारी के कारण वह फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए किसी के घर नहीं आ-जा सकता है. इसलिए केवाईसी वेरीफिकेशन ऑनलाइन ही किया जा रहा है.


-इसके बाद कॉल करने वाला कहता है कि ऑनलाइन केवाईसी के लिए एक एप को  डाउनलोड कर लें. इसकी आईडी ग्राहक से पूछकर कॉलर उनके फोन को स्मार्ट तरीके से हैक कर लेता है.


-कॉलर ग्राहक को अपने पेटीएम अकाउंट में एक रुपये डालने के लिए कहता है. ग्राहक जब एक रुपये का भुगतान अपने पेटीएम अकाउंट में करता है तो इस लेनदेन के बीच डाउनलोड किए गए एप की मदद अपराधी पर्सनल जानकारी हासिल कर लेता है. जैसे - कॉलर की बातों में आकर अगर ग्राहक क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करता है तो एप की मदद से फोन को हैक कर चुका अपराधी क्रेडिट कार्ड का पिन नंबर देख लेता है.


क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट्स

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि टीम व्यूवर जैसी एप से कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के सिस्टम पर पूरा अधिकार कर लेता है. ये एप किसी दूर बैठे सिस्टम की खामियों को दूर करने के काम आते हैं लेकिन अब इनका गलत इस्तेमाल हो रहा है.


इससे बचने के लिए इस तरह के एप बिना किसी कारण के डाउनलोड न करें. अगर आपके सिस्टम में खराबी है तो सिर्फ उन लोगों से ठीक कराएं जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से जानते हैं.


यह भी पढ़ें:


CM ममता की सभी राज्यों से अपील, NEET और JEE परीक्षा को टालने के लिए SC का रुख करें