Maorisbot Malware Cyber Threat: भारत में एंड्रॉयड यूजर्स तेजी से साइबर ठगी का शिकार बन रहे हैं. ताजा मामला माओरिसबॉट मालवेयर का है, जो फर्ज़ी ट्रैफिक चालान के बहाने लोगों की निजी और महत्वपूर्ण जानकारी जमाकर उनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.


क्लाउडएसईके की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर से ऐसे साइबर ठगी के कई मामले सामने आए हैं, जहां पर एंड्रॉयड यूजर्स को व्हाट्सएप पर नकली ट्रैफिक चालान के मैसेज आ रहे हैं. इन मैसेज़ेस में यूजर्स को एक ऐप को डाउनलोड करने को कहा जाता है, जैसै ही ऐप डाउनलोड होता है वैसे ही हैकर्स आपकी खास और महत्वपूर्ण जानकारियों को ऐप के जरिए चुरा लेते हैं. 


कैसे काम करता है माओरिसबॉट मालवेयर


क्लाउडएसईके की रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले यूजर को उसके व्हाट्सएप पर फर्ज़ी ट्रैफिक चालान का मैसेज आता है. चिंता की बात ये है कि ये चालान कर्नाटक पुलिस के ट्रैफ़िक चालान जैसा दिखता है. मैसेज में यूजर को चालान का भुगतान करने के लिए एक ऐप को इंस्टॉल करने के लिए कहा जाता है. इंस्टॉल होने के बाद ऐप खुद को छुपा लेता है और होम स्क्रीन पर नहीं दिखता.


इसके बाद ऐप यूजर से कई सारी परमिशन मांगता है. परमिशन मिलने के बाद मालवेयर डिवाइस में मौजूद कॉन्टेक्ट नंबर, मैसेज जैसी कई महत्वपूर्ण और निजी जानकारियों को चुरा लेता है. यूजर्स का ये डेटा टेलीग्राम बॉट को भेजा जाता है, जिसे हैकर्स कंट्रोल कर रहे होते हैं. डेटा चोरी होने के बाद हैकर्स OTP को इंटरसेप्ट करके अनऑथराइज्ड ट्रांजेक्शन भी कर सकते हैं. 


लाखों रुपये ठग चुकें हैं हैकर्स


क्लाउडएसईके की रिपोर्ट के अनुसार माओरिसबॉट मालवेयर के सबसे ज्यादा केस गुजरात और कर्नाटक से सामने आए हैं. इसमें गौर करने वाली बात ये है कि साइबर ठगी का शिकार हुए ज्यादातर लोग जियो और एयरटेल की सिम का यूज कर रहे हैं.


अबतक 4,400 से ज्यादा डिवाइस में ये मालवेयर मिल चुका है. साइबर ठग अबतक 16 लाख से ज्यादा की रकम पर हाथ साफ कर चुके हैं. यह लोगों को ऑनलाइन तरीके से ठगने का एक नया तरीका है.


इस माओरिसबॉट मालवेयर से कैसे बचें?



  • ऐसे साइबर खतरों से बचने के लिए कोई भी अंजान ऐप को इंस्टॉल न करें.

  • अगर आप प्ले स्टोर से कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं, तो इंस्टॉल होने के बाद परमिशन देते समय खास ध्यान रखें, क्योंकि ऐप्स को परमिशन देने के बाद ही ठगी का सारा प्लान शुरू होता है.

  • इसके अलावा हमेशा प्ले स्टोर से ही ऐप्स को डाउनलोड करें.

  • इस बात पर भी ध्यान दें कि फोन और ऐप लेटेस्ट सिक्योरिटी पैच के साथ अपडेट है कि नहीं.

  • इसके अलावा यूजर खुद भी साइबर ठगी के मामलों को लेकर अपडेट रहें.


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