ओपन एआई के फाउंडर Sam Altman ने हाल ही में ये बात कही थी कि चैट जीपीटी को एक टूल की तरह देखा जाए और इससे दैनिक कामकाज में मदद ली जाए न कि इसे ह्यूमन माइंड का रिप्लेसमेंट समझा जाए. अब लगता है कि इस बात को दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी सीरियसली लेने लगे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक सर्वे सामने आया है जिसमें ये बताया गया है कि करीब 48% कर्मचारी चैट जीपीटी के जरिए अपना काम पूरा कर रहे हैं. चैट जीपीटी एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है जिसमें पब्लिकली मौजूद सारा डेटा फीड किया गया है.


बिजनेस इंसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Fishbowl नाम के एक नेटवर्किंग ऐप ने करीब 11,700 एंप्लाइज को एक सर्वे में शामिल किया था. इस सर्वे में ये पाया गया कि करीब 48% कर्मचारी AI टूल जैसे कि चैट जीपीटी के सहारे अपना दैनिक कामकाज पूरा कर रहे हैं. मजेदार बात ये है कि इनमें से करीब 68% एंप्लॉय ऐसे हैं जो बिना बॉस को बताए चैट जीपीटी के जरिए अपना कामकाज दफ्तर में पूरा करते हैं. इस सर्वे में जिन लोगों को शामिल किया गया था वे अमेजन, गूगल, जेपी मॉर्गन, मेटा, ट्विटर और आईबीएम आदि में काम करते हैं. इस सर्वे को फिश बाउल ऐप के जरिए 26 जनवरी से लेकर 30 जनवरी तक किया गया था.


खतरे में इन लोगों की नौकरी 


बता दें, इससे पहले ओपन एआई और यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया ने एक रिपोर्ट सबके बीच रखी थी जिसमें ये बताया गया कि एआई की वजह से किन लोगों की नौकरी जा सकती है और किनकी नौकरी सेफ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, उन लोगों की नौकरी पूर्ण रूप से सुरक्षित है जो क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स और साइंटिफिक स्किल्स की मदद से कामकाज करते हैं. दूसरी तरफ ऐसी नौकरियां जहां राइटिंग और प्रोग्रामिंग से जुड़ा कामकाज होता है उनमें एआई की वजह से खतरा ज्यादा है.


ओपन एआई ने कुछ समय पहले चैट जीपीटी का लेटेस्ट वर्जन GPT-4 लॉन्च किया है. नया वर्जन पहले से ज्यादा एडवांस और एक्यूरेट है. इसमें लोग 25,000 वर्ड्स तक की क्वेरी और इमेज के जरिए सवाल-जवाब कर सकते हैं. हालाकी GPT-4 फ्री में एक्सेस करने के लिए उपलब्ध नहीं है.


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