टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को आसान बनाया है. अब टेक्नोलॉजी की मदद से जीवन को लंबा बनाने की कोशिश भी हो रही है. ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI ने रेट्रो बायोसाइंसेस के साथ मिलकर एक नए AI मॉडल GPT-4b micro को ट्रेनिंग दी है. रेट्रो बायोसाइंसेस एक स्टार्टअप है, जो इंसानी जीवन को 10 साल और लंबा बनाने पर काम कर रहा है. दोनों कंपनियां पिछले एक साल से साथ मिलकर काम कर रही हैं. इनका मुख्य उद्देश्य यमानाका फैक्टर्स नाम के प्रोटीन्स में सुधार करना है. आइये पूरी खबर जानते हैं.
ये काम कर रही हैं दोनों कंपनियां
दोनों कंपनियों ने मिलकर GPT-4b micro मॉडल तैयार किया है. इसका काम प्रोटीन्स के एक सेट यमानाका फैक्टर्स को री-इंजीनियर करना है. यह प्रोटीन्स इंसानी स्किन सेल्स को जवां दिखने वाली स्टेम सेल्स में बदल सकता है. रेट्रो बायोसाइंसेस का मानना है कि यह प्रोटीन्स इंसानी अंग बनाने के काम आ सकता है और इससे सेल्स बदलने की समस्या को भी हल किया जा सकता है. यह OpenAI का पहला ऐसा मॉडल है, जिसे खास तौर पर बायोलॉजिकल रिसर्च के लिए तैयार किया गया है.
गूगल के पास भी है ऐसा मॉडल
GPT-4b micro मॉडल गूगल के नोबल पुरस्कार विजेता AlphaFold मॉडल से थोड़ा अलग है. गूगल का यह मॉडल अमिनो एसिड सीक्वेंस से प्रोटीन की सटीक 3D स्ट्रक्चर का अनुमान लगा सकता है. बायोलॉजी में एक समय में इस काम को असंभव माना जाता था. इसके चलते यह मॉडल बनाने वाले गूगल डीपमाइंड के CEO डेमिस हस्साबिस और गूगल डीपमाइंड के डायरेक्टर जॉन जंपर को पिछले साल केमिस्ट्री का नोबल पुरस्कार दिया गया था.
GPT-4b micro पर शुरू होगी रिसर्च
OpenAI और रेट्रो बायोसाइसेंस ने कहा है कि वो इस मॉडल पर अपनी रिसर्च को पब्लिश करेगी. इससे पता चल सकेगा कि यह मॉडल कितना कारगर साबित होता है और क्या यह सच में इंसान को थोड़े और साल जीने में मदद कर सकता है.
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