बोली सुनकर लिखने वाले सॉफ्टवेयर के बाद विशेषज्ञ एक नया प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि हैरतअंगेज तकनीक बनाने में उनकी कामयाबी शुरुआती स्तर पर है. फिलहाल यही माना जा रहा है कि तकनीक अब आपकी सोच की दिशा भी तय कर सकती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के विशेषज्ञों ने सोच को शब्दों में ढालने पर परीक्षण किया है. जिसके मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बदौलत सिर्फ सोच को पढ़कर तकनीक शब्दों को टाइप कर सकती है. ये तकनीक बिना किसी शब्द को सुने बगैर सिर्फ सोच के उथल-पुथल को जुमलों में बदल देती है. शोध के क्रम में न्यूरो सर्जन एडवर्ड चेंगऔर उनकी टीम ने दिमाग के खास हिस्से में होनेवाली 'कोरटेकल सरगर्मी' का विश्लेषण किया. उन्होंने उसे पढ़ने के लिए दिमाग में खास इलेक्ट्रोड लगाए. इस प्रक्रिया का नाम उन्होंने 'इलेक्ट्रो कोरटेकोग्राम' दिया.
उन्होंने मिर्गी के दौरे को रिकॉर्ड करने के लिए चार मरीजों में बाहरी पैवंद लगाए. ये मिर्गी के दौरे को रिकॉर्ड करने के लिए फिट किए गए थे. अब डाटा को न्यूरल नेटवर्क में शामिल करके आवाज के निशान (सिग्नेचर) की तलाश की गई. जिन में होठों के हरकत, स्वर (vowels) जैसे अक्षरों को जांचा गया. अगले चरण में आम बोलचाल वाले 30-50 जुमलों को न्यूरल नेटवर्क में डाला गया. फिर विशेष कोरटिकल पहचान को नोट किया गया फिरआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए दिमागी सिग्नेचर की बिना पर सोच को टेक्सट में लिखा गया. इस दौरान सिर्फ 3 फीसद गलती सामने आई. इसके अलावा कुछ और कमी भी देखी गई. जैसे कुछ सोचे गए जुमले इतने गलत जाहिर हुए जिसका मतलब ही बदल गया. उन जुमलों में जोड़, शब्द और आवाजों का तारम्तय नहीं रहा. मगर इसके बावजूद ये पहल सोच को शब्दों में बदलनेवाली हैरतअंगेज कोशिश मानी जा रही है.
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