Children Screen Time Concern: टेक्नोलॉजी के अपग्रेड होने से दुनियाभर में लोग ज्यादा से ज्यादा टाइम मोबाइल, टेलीविजन, टैब, लैपटॉप आदि पर देने लगे हैं. इन गैजेट्स के इस्तेमाल से बच्चों पर भी बुरा असर पड़ा रहा है. हाल ही में जारी एक सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर 89 प्रतिशत भारतीय मां चिंता करती हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि आज के समय में टेक गैजेट्स बच्चों की जरूरत बन गए हैं. वे लगभग हर काम गैजेट्स के इस्तेमाल से करने लगे हैं. बच्चे गेम्स और पढ़ाई के लिए भी गैजेट्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
बाजार अनुसंधान कंपनी टेकआर्क द्वारा जारी इस रिपोर्ट के लिए 600 ऐसी कामकाजी मांओं के बीच सर्वेक्षण कराया गया जिनका कम से कम एक बच्चा तीसरी से 10वीं कक्षा में पढ़ता है. इसमें महिलाओं से डिजिटल इकोसिस्टम में उनकी चिंताओं, चुनौतियों, रुचि और पसंदों के बारे में पूछा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है, मांओं का मानना है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
इन वजहों से चिंतित हैं माएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांओं की सबसे बड़ी चिंताओं में निजता (81 प्रतिशत), अनुचित कंटेंट (72 प्रतिशत), टीनएज इंफ्लुएंसर (45 प्रतिशत) और डीप फेक (26 प्रतिशत) सबसे ऊपर हैं. उनका मानना है भविष्य में डीप फेक और जेन एआई पेरेंट्स के लिए और बड़ी चिंता बनेगी. डिवाइसों की बात करें तो भविष्य के लिए सबसे बड़ी चिंता वीआर हेडसेट है, खासकर एप्पल विजन प्रो की लॉन्चिंग के बाद. हालांकि मांओं ने यह भी स्वीकार किया कि पांच साल पहले कि तुलना में आज डिजिटल दुनिया बच्चों के लिए ज्यादा उपयोगी और प्रासंगिक है.
बच्चों के लिए बढ़ रही ऑनलाइन खरीदारी
रिपोर्ट के अनुसार, 60 प्रतिशत से ज्यादा मां अपने बच्चों के लिए चीजें खरीदने में खर्च की गई राशि का 51-85 प्रतिशत ऑनलाइन खरीदारी पर खर्च करती हैं. वहीं, 20 प्रतिशत डिजिटल सेवी महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 85 प्रतिशत से भी ज्यादा है. वे अपने बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खरीददारी अमेजन पर, खानों के ऑर्डर स्विगी पर और मनोरंजन पैकेज डिजनी हॉटस्टार पर लेती हैं.
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