नई दिल्ली: आजकल स्मार्टफोन के साथ ऐप्स मेकर्स भी डार्क मोड का इस्तेमाल करने लगे हैं. वॉट्सऐप, फेसबुक मेसेंजर और ट्विटर पर डार्क मोड मिलने लगा है. इतना ही नहीं एंड्राइड 10 में गूगल ने सिस्टम-वाइड डार्क मोड का ऑप्शन भी दे दिया है.डार्क मोड दिखने में तो अच्छा लगता है लेकिन क्या आप जानते हैं यह आपकी नाज़ुक आँखों के लिए बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता है.


इस समय स्मार्टफोन के अलग-अलग ऐप्स के लिए डार्क मोड फीचर काफी ट्रेंडिंग में है. डार्क मोड ऑन होने पर स्मार्टफोन की डिस्प्ले डार्क या ब्लैक कलर में हो जाती है. जिसकी वजह से कम रोशिनी आंखों में जाती है और ज्यादा देर तक आप फोन का इस्तेमाल बिना थके कर सकते हैं.  लेकिन डार्क मोड जहां दिन में ठीक रहता है तो वहीं दिन के समय यह नुकसानदायक साबित होता है.


विजन होगा कमजोर


अगर आप लंबे समय से अपने स्मार्टफोन पर डार्क मोड इस्तेमाल करते हैं तो बाद में आपकी आंखें उसे ही अडॉप्ट कर लेती हैं और वाइट कलर का टेक्स्ट पढ़ना बेहतर लगता है. लेकिन जब आप लाइट मोड पर जाते हैं तो इसका असर आपकी आंखो पर पड़ता है, और विजन कमजोर होने लगता है.डार्क मोड का ज्यादा इस्तेमाल आंखों की बीमारी का कारण बन सकता है. लाइट से डार्क टेक्स्ट के बीच स्विच करने के बाद आपकी आंखें अचानक इस चेंज को अडॉप्ट नहीं कर सकती हैं और ऐसे में ब्राइटबर्न की स्थिति भी दिख सकती है.


आंखों में एस्टिगमेटिज्म हो सकता है


अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक, डार्क मोड इस्तेमाल करने वाले लोगों में एस्टिगमेटिज्म नाम की बीमारी सामने आ रही है. जिसमे एक आंख या फिर दोनों आंखों के कॉर्निया का शेप कुछ अजीब सा हो जाता है और ब्लर दिखने लगता है. जिसकी वजह से लोग वाइट बैकग्राउंड पर ब्लैक टेक्स्ट के मुकाबले ब्लैक बैकग्राउंड पर वाइट टेक्स्ट आसानी से नहीं पढ़ सकते. डिस्प्ले ब्राइट होने पर आइरिस छोटा हो जाता है, जिससे कम लाइट आंख में जाए और डार्क डिस्प्ले के साथ उल्टा होता है. ऐसे में आंख के फोकस पर असर पड़ता है.


ऐसे में क्या करें


आंखों पर डार्क मोड की वजह से अगर कोई नुकसान नहीं होने देना चाहते हैं तो आपको डार्क मोड और लाइट मोड दोनों को बीच-बीच में स्विच करते रहना चाइये, जहां तक संभव हो स्मार्टफोन के डिस्प्ले की ब्राइटनेस कम ही रखना चाइये. दिन में लाइट मोड का इस्तेमाल करें जबकि रात में डार्क मोड का इस्तेमाल करना ठीक रहेगा.


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