Spam Telemarketing Message: टेलीकॉम ऑपरेटर उन मैसेज को ब्लॉक कर रहे हैं, जिनके पास सरकार के निर्देश के अनुसार कोई परिभाषित या मेल खाने वाली टेलीमार्केटर सीरीज नहीं है. इस कदम को 'स्पैम फ्री कम्युनिकेशन' सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के 20 अगस्त 2024 को जारी निर्देश के अनुसार, प्रमुख संस्थाओं (पीई) द्वारा भेजे गए सभी कमर्शियल मैसेज को अब पूरी तरह से ट्रेस किया जा सकेगा.


टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) और स्टेक होल्डर्स द्वारा किए गए व्यापक प्रारंभिक कार्य को देखते हुए, इस सक्रिय उपाय से ग्राहकों की असुविधा को कम किए जाने की उम्मीद है. सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर के अनुसार, 90 प्रतिशत से अधिक पीई, जो कमर्शियल ट्रैफिक का बहुमत रखते हैं, ने सफलतापूर्वक अपनी सीरीज रजिस्टर्ड करवा ली है. कोचर ने एक बयान में कहा, "ग्राहकों की किसी भी तरह की बाधा को कम करने के लिए टीएसपी ने 1 नवंबर, 2024 से लॉगर मोड में पीई-टीएम बाइंडिंग शुरू की."


कई विभाग ने मिलकर की बात


डॉ. एसपी कोचर ने आगे बताया कि फेज के दौरान, ट्रैफिक को हैश मिसमैच या अनरजिस्टर्ड चेन की वजह से ब्लॉक नहीं किया गया, जिससे टीएसपी को पीई संस्थाओं और टेलीमार्केटर्स के साथ मिलकर विफलताओं की पहचान करने और उन्हें संबोधित करने की अनुमति मिली.


सीओएआई महानिदेशक ने कहा, "इस आयोजन में विभिन्न बैठकें और कई वेबिनार शामिल थे, जिनमें बीएफएसआई, बीमा, राज्य और केंद्र सरकार के निकायों सहित विभिन्न क्षेत्रों से हजारों प्रतिभागियों ने भाग लिया. इससे चेन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पर जागरूकता की सुविधा मिली, हैशिंग फंक्शन के लिए टेक्निकल बदलावों पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया और अन्य परिचालन आवश्यकताओं को संबोधित किया गया."


सारे सामूहिक प्रयास कमर्शियल मैसेज की ट्रेसबिलिटी और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है. एसपी कोचर ने कहा, "यह पहल न केवल उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी और अनचाहे कमर्शियल मैसेज से बचाएगी, बल्कि संचार नेटवर्क में विश्वास भी बढ़ाएगी."


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