Elon muks's Starlink: मस्क की कंपनी Starlink भारत में ऑपरेट करने के लिए सरकार से लाइसेंस का इंतजार कर रही है. कुछ समय पहले कंपनी ने IN-SPACe में आवेदन किया था. इस बीच लेटेस्ट अपडेट ये है कि भारत सरकार मस्क की कंपनी के 'डेटा स्टोरेज एंड ट्रांसफर' पर मिले जवाबों से संतुष्ट नहीं है. सरकार ने कंपनी से संतुष्टिपूर्ण जवाव मांगे हैं. अगर कंपनी ऐसा नहीं कर पाती है तो उसे एक अनकंडिशनल कम्प्लीमॅन्स साइन करके भारत सरकार को देना होगा. यानि कंपनी को भारत सरकार के रूल्स एंड रेगुलेशंस के हिसाब से ही काम करना होगा. जिन लोगों को नहीं पता कि स्टारलिंक क्या है? तो दरअसल, ये एक सैटेलाइट कॉन्स्टीलेशन सिस्टम है. यानि आपको सीधे सैटेलाइट से इंटरनेट कनेक्शन मिलेगा. इसका फायदा ये है कि आपको कहीं भी इंटरनेट मिल सकता है फिर चाहें आप पहाड़ो में हो या समुद्र में.


डेटा सेफ रखना चाहती है सरकार 


फिलहाल गृह मंत्रालय मस्क की कंपनी Starlink से जुड़े हर पहलू की जांच कर रहा है जिसमें डेटा सिक्योरिटी, स्टोरेज आदि से सम्बंधित चीजे हैं. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सप्ताह के अंत में एक बैठक निर्धारित है जिसमें स्टारलिंक के अधिकारियों के भाग लेने की उम्मीद है. इस मीटिंग में मंत्रालय कंपनी से सभी मुद्दों पर चर्चा करेगा और संतुष्टिपूर्ण जवाब भी चाहेगा. दरअसल, भारत सरकार देश के नागरिको का डेटा देश के अंदर ही सुरक्षित रखना चाहती है.      


मस्क की कंपनी का डेटा स्टोरेज एंड सिक्योरिटी पर कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करती है क्योंकि सैटेलाइट कॉन्स्टीलेशन ग्लोबल है और डेटा ट्रैफ़िक उसी के आधार पर रखा जाता है. हालांकि भारत सरकार को लगता है कि यदि डेटा देश की क्षेत्रीय सीमा तक सीमित नहीं है तो इससे डेटा बाहर जा सकता है और देश के बाहर फिर सरकार कुछ नहीं सकती. 


रिलायंस और OneWeb को मिला लाइसेंस 


भारती ग्रुप समर्थित वनवेब और रिलायंस जियो की सैटकॉम शाखा को दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा पहले ही GMPCS लाइसेंस प्रदान किया जा चुका है. मस्क की स्टारलिंक तीसरी ऐसी कंपनी है जिसने भारत के बाजार में सैटकॉम सेवाएं देने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. यदि कंपनी नियमों को फॉलो करती है तो जल्द उसे भी सरकार लाइसेंस दे सकती है. 


बता दें, भारत की नई अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत अब विदेशी कंपनियां भी भारत में अपना इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप कर सैटेलाइट सेवाएं दे सकती हैं. इसके लिए कंपनियों को IN-SPACe से मंजूरी लेनी होगी. सरकार ने IN-SPACe- को सरकारी और निजी दोनों सैटकॉम कंपनियों को अप्रूवल देने का अधिकार दिया है.


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