Tata Semiconductor Plant: एआई के जमाने में टाटा ग्रुप ने सेमीकंडक्टर की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, टाटा ने असम के जागीरोड में 27 हजार करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग और टेस्टिंग प्लांट की शुरुआत की है. यहां मॉर्डन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 4.83 करोड़ चिप की मैन्यूफैक्चरिंग की जाएगी. टाटा के इस प्रोजेक्ट को फरवरी महीने में केंद्रीय मत्रिमंडल की तरफ से मंजूरी दी गई थी. 


सेमीकंडक्टर चिप, इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स के लिए काफी खास होता है. स्मार्टफोन्स हो या फिर कार, हर जगह इस चिप का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह किसी देश के पास इस चिप की पावर हो तो वो दुनियाभर में अलग ही पहचान बनाएगा. टाटा संस लिमिटेड के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने असम में इस टेस्टिंग प्लांट की शुरुआत की है, जिसका भूमिपूजन हो गया है.


चीन का बड़ा कॉम्पीटिशन बन सकता है भारत 


टाटा का सेमीकंडक्टर प्लांट चीन की बैचेनी बढ़ा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस चिप की ताकत की बदौलत ही चीन दुनियाभर में अपनी धौंस दिखाता है. अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों के लिए चीन चिप का सबसे बड़ा सोर्स मार्केट है. सेमीकंडक्टर की कुल सेल में चीन का एक तिहाई योगदान है. इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियों का 60 से 70 फीसदी रेवेन्यू चीन से ही आता है. चिप और सेमीकंडक्टर के लिए इंडस्ट्रीज की निर्भरता चीन पर है. इस तरह चीन के लिए अब बड़ा कॉम्पीटिशन भारत है. ऐसे में ये अमेरिका के पसीने भी छूटा सकता है. 


भारत की बात करें तो चिप निर्माण के लिए देश आत्मनिर्भर बनना चाहता है और सेमीकंडक्टर की बढ़ती डिमांड को देखते ही ये बड़ा कदम उठाया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में साल 2026 तक यह मार्केट 63 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. ऐसे में चीन, ताइवान पर जैसे देशों पर भी भारत की निर्भरता कम होने वाली है. 


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