इमारतों में बेहतर होंगी मोबाइल सेवाएं, टेलीकॉम डिपार्टमेंट के नए फैसले के बारे में जानें
अब अगर किसी एक इमारत के अंदर किसी टेलीकॉम कंपनी का इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऑप्टिकल फाइबर या बूस्टर आदि लगा है तो वह कंपनी अब दूसरी कंपनियों के साथ भी अपने इस इंफ्रास्ट्रक्चर को साझा कर सकेगी.
नई दिल्लीः अक्सर अगर किसी बिल्डिंग के अंदर आप जाते हैं तो मोबाइल नेटवर्क कमजोर हो जाता है. वॉइस कॉल ड्रॉप हो जाती हैं और इंटरनेट की स्पीड धीमी पड़ जाती है लेकिन आने वाले दिनों में यह समस्या दूर हो सकती है. दरअसल टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने इन बिल्डिंग नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर की शेयरिंग को मंजूरी दे दी है. यानी कि अब अगर किसी एक इमारत के अंदर किसी टेलीकॉम कंपनी का इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऑप्टिकल फाइबर या बूस्टर आदि लगा है तो वह कंपनी अब दूसरी कंपनियों के साथ भी अपने इस इंफ्रास्ट्रक्चर को साझा कर सकेगी. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करने से टेलीकॉम कंपनियों की परिचालन लागत भी कम आएगी.
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हालांकि टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए इन बिल्डिंग नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग अनिवार्य नहीं की है बल्कि सिर्फ एक एडवाइजरी जारी की है. टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि सभी टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को यह सुझाव दिया जाता है कि वह एक दूसरे के साथ इन बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्चर शेयर करें. सभी सरकारी सार्वजनिक इमारतों जैसे एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, मेट्रो स्टेशन, हॉस्पिटल आदि में टेलीकॉम कंपनियां अपने लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक ऐसा करें.
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टेलीकॉम नियामक ट्राई के मुताबिक देश में 80 फ़ीसदी मोबाइल सेवाओं का इस्तेमाल इमारतों के अंदर ही होता है. इसीलिए टेलीकॉम ऑपरेटर्स को इन बिल्डिंग टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर शेयर करना अनिवार्य किया जाना चाहिए जिससे बेहतर टेलीकॉम सेवाएं दी जा सके. हालांकि टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने फिलहाल इसे अनिवार्य नहीं किया है और सिर्फ एक एडवाइजरी जारी की है. ऐसे में कितनी कंपनियां अपना इंफ्रास्ट्रक्चर दूसरी कंपनियों के साथ शेयर करती हैं और सेवाएं कितनी बेहतर होती हैं यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा.
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