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गूगल क्रोम का करते हैं इस्तेमाल तो कहीं आप भी तो हाई 'रिस्क' में नहीं, सरकार ने कहा तुरंत कर लें ये काम

एक रिमोट हैकर को मनमाना कोड डालने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेट सिस्टम पर सर्विस कंडीशन से इनकार करने की परमिशन दे सकता है.

IT मंत्रालय के तहत भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) ने Google Chrome ब्राउजर यूजर्स के लिए एक हाई रिस्क वॉर्निंग जारी की है. वॉर्निंग उन यूजर्स के लिए है जो 99.0.4844.74 से पहले ब्राउज़र के वर्जन का उपयोग कर रहे हैं. चेतावनी के अनुसार, Google क्रोम में कई खामियों की सूचना दी गई है जो एक रिमोट अटैकर को मनमाना कोड डालने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेटिड सिस्टम पर सर्विस कंडीशन से इनकार करने की अनुमति दे सकती है.

एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि "ये खामियां गूगल क्रोम में ब्लिंक लेआउट, एक्सटेंशन, सेफ ब्राउजिंग, स्प्लिटस्क्रीन, एंगल, न्यू टैब पेज, ब्राउजर यूआई और जीपीयू में हीप बफर ओवरफ्लो के कारण मौजूद हैं." इनकी वजह से एक रिमोट हैकर को मनमाना कोड डालने, सुरक्षा प्रतिबंधों को बायपास करने या टारगेट सिस्टम पर सर्विस कंडीशन से इनकार करने की अनुमति दे सकता है.

किसी भी ठगी से बचने के लिए CERT-IN चाहता है कि Google क्रोम यूजर्स 99.0.4844.74 वर्जन में अपडेट करें. इस वर्जन को इस सप्ताह की शुरुआत में रोल आउट किया गया था और इसमें कई सुधार शामिल हैं.

इस हफ्ते, CERT-IN ने यह भी उल्लेख किया कि माइक्रोसॉफ्ट एज ब्राउज़र में कई खामियों की सूचना मिली है जो एक रिमोट हैकर को टारगेट सिस्टम से समझौता करने की अनुमति दे सकती है. एक विशेष रूप से तैयार की गई रिक्वेस्ट भेजकर एक हैकर इन खामियों का फायदा उठा सकता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक एज का उपयोग अब दुनिया भर में 9.54% डेस्कटॉप पर किया जाता है, जो कि 9.84% मार्केट शेयर के साथ ऐप्पल के सफारी के ठीक पीछे है. डेटा से यह भी पता चलता है कि Google क्रोम अभी भी 65.38% यूजर्स के साथ सबसे मार्केट शेयर रखता है. नए विंडोज ओएस के लॉन्च के बाद से एज में बढ़ोतरी देखी गई है.

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