Truecaller पर भारत में आया AI असिस्टेंट फीचर, स्पैम मैसेज का भी लग जाएगा पता, जानें पूरी डिटेल
एआई मॉडल बाहरी डेटा ट्रांसफर के बिना यूजर्स के डिवाइस पर स्पैम मैसेज का भी पता लगाता है, जिससे यूजर्स की प्राइवेसी सुनिश्चित होती है.
ट्रूकॉलर (Truecaller) का इस्तेमाल भारत में ज्यादातर लोग करते हैं. अगर आप भी इनमें से हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. भारत में कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस असिस्टेंट यानी एआई असिस्टेंट (Truecaller AI assistant) लॉन्च किया है. fagenwasanni की खबर के मुताबिक, स्वीडन स्थित कॉलर आईडेंटिटी ऐप में जुड़े आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इ्स्तेमाल कॉल और एसएमएस दोनों के लिए संभावित स्कैम को कैटेगराइज करने और पहचानने के लिए पूर्वानुमानित मॉडल का इस्तेमाल करके ट्रूकॉलर की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
स्पैम से निपटता है एआई असिस्टेंट
खबर के मुताबिक, एआई इंटीग्रेशन कम्यूनिकेशन सिक्योरिटी को बढ़ाता है, स्पैम से निपटता है और साथ ही एआई इंटीग्रेशन कम्यूनिकेशन सिक्योरिटी को बढ़ाता है. एआई मॉडल बाहरी डेटा ट्रांसफर के बिना यूजर्स के डिवाइस पर स्पैम मैसेज का भी पता लगाता है, जिससे यूजर्स की प्राइवेसी सुनिश्चित होती है. खबर के मुताबिक, एआई असिस्टेंट ने धोखाधड़ी के खिलाफ ट्रूकॉलर की पूर्वानुमान क्षमताओं में भी सुधार किया है और यह ग्राहक सहायता के लिए फायदेमंद है.
प्रोडक्ट को लोकल बनाने पर काम
ट्रूकॉलर (Truecaller) ने कॉलर की पहचान और स्कैम या फ्रॉड का पता लगाने से परे जाने के लिए अपने एआई चैटबॉट के लिए एक सुविधा के रूप में ट्रांसक्रिप्शन पर ध्यान फोकस करने का फैसला लिया. कॉल हीरो के अधिग्रहण ने ट्रूकॉलर को एआई टेक्नोलॉजी को अपने प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करने की परमिशन दी. असिस्टेंट (Truecaller AI assistant) सुविधा शुरू में संयुक्त राज्य अमेरिका में शुरू की गई थी और बाद में भारत सहित दूसरी अंग्रेजी भाषी बाजारों में इसका विस्तार किया गया. ट्रूकॉलर अंग्रेजी, हिंदी और हिंग्लिश जैसी कई भाषाओं का समर्थन करके भारतीय बाजार के लिए प्रोडक्ट को लोकल बनाने पर काम कर रहा है.
सख्त पॉलिसी लागू
डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के संदर्भ में, ट्रूकॉलर (Truecaller) ने यूजर्स कंट्रोल सुनिश्चित करने और डेटा ट्रांसमिशन को कम करने के लिए सख्त पॉलिसी लागू की हैं. डेटा रिकवरी के लिए यूजर्स की सहमति जरूरी है. सिर्फ जरूरी डेटा ही प्रसारित किया जाता है. तय समय के बाद डेटा को छोटा कर दिया जाता है. ट्रूकॉलर के एपीआई सामने नहीं होते हैं, और डेटा एक्सेस संगठन के भीतर कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित है.
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