Google: अमेरिका की कोर्ट ने गूगल सर्च इंजन पर एक बड़ा फैसला सुनाया है. अब इस फैसले के आने के बाद कई टेक्नोलॉजी जगत की कंपनियों के कारोबार करने के तरीके पर भी असर पड़ सकता है. दरअसल, अमेरिकी कोर्ट के न्यायाधीश ने गूगल को मोपोलिस्ट कहा है. कोर्ट के अनुसार, गूगल ने ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन पर अपना एकाधिकार बनाने के लिए अवैध रूप से कार्य किया है. आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला.
क्या है मामला
दरअसल, न्याय विभाग ने 2020 में गूगल पर ऑनलाइन सर्च मार्केट में 90 फीसदी का नियंत्रण रखने के लिए मुकदमा दायर किया था. माना जा रहा है कि यह फैसला फेडरल एंटी कंपटीशन रेगुलेटर्स के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है. फेडरल एंटी कंपटीशन रेगुलेटर्स (Federal Anti Competition Regulators) ने गूगल के साथ-साथ कई टेक कंपनियों के खिलाफ गैरकानूनी एकाधिकार संचालित करने के आरोप लगाए थे.
इस मुकदमे पर सुनवाई करते हुए अमेरिकी जिला कोर्ट के न्यायाधीश अमित मेहता ने कहा कि गूगल ने स्मार्टफोन और ब्राउजरों पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए अवैध रूप से कार्य किया है और इसके लिए गूगल ने कई अरब डॉलर का भुगतान भी किया है.
बदल सकता है कंपनियों के काम करने का तरीका
आपको बता दें कि सोमवार को यह फैसला कई टेक कंपनियों के लिए एक भूचाल के रूप में सामने आया है. इस फैसले के आने के बाद से ही कई दिग्गज टेक कंपनियों के कारोबार करने के तरीके में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं. अमेरिकी कोर्ट के न्यायाधीश अमित मेहता के इस 277 पेज के फैसले में सबसे बड़ी यह सामने आई है कि कोर्ट का मानना है कि गूगल एक मोनोपोलिस्ट है. गूगल ने अपने इस मोनोपोली को बनाए रखने के लिए अवैध रूप से काम किया है और कई अरब डॉलरों को खर्च किया है.
गूगल के वकीलों ने क्या कहा
आपको बता दें कि गूगल के वकील जॉन श्मिटलीन ने मामले में सुनवाई के दौरान साल के शुरूआत में कहा था कि गूगल इस मामले में जीत रहा है, क्योंकि गूगल बेहतर है. हालांकि गूगल की ओर से कोर्ट के इस फैसले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. बता दें कि गूगल के खिलाफ विज्ञापन तकनकी जुड़ा भी एक मामला है जिसकी सुनवाई इसी साल सितंबर में होने को है.
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