Bypass Charging Benefits: आपने स्मार्टफोन के लिए नॉर्मल चार्जिंग के अलावा वायरलेस चार्जिंग सुनी होगी, लेकिन क्या आपने बाइपास चार्जिंग सुनी है? आजकल कई ऐसे मोबाइल फोन्स उपलब्ध हैं, जो बाइपास चार्जिंग को सपोर्ट करते हैं. बाइपास चार्जिंग में न तो फोन की बैटरी चार्ज होती है और न ही डिस्चार्ज. फिर भी इसके कई फायदे होते हैं. आइये जानते हैं कि बाइपास चार्जिंग क्या होती है, इसके फायदे क्या हैं और किन-किन मोबाइल फोन्स को इससे चार्ज किया जा सकता है.


कैसे काम करती है बाइपास चार्जिंग?


बाइपास चार्जिंग में स्मार्टफोन सीधा चार्जिंग एडेप्टर से ही पावर लेता है. इसमें वह उतनी ही पावर लेगा, जितनी फोन के प्रोसेसर, डिस्प्ले और अन्य कंपोनेंट्स को जरूरत है. इस चार्जिंग में बैटरी की भूमिका एक तरह से खत्म हो जाती है. अगर फोन चार्जिंग पर लगा है तो इसके कंपोनेंट्स बैटरी को छोड़कर सीधे एडेप्टर से पावर ले लेंगे. जैसे ही एडेप्टर बंद हो जाएगा, बैटरी अपना काम करना शुरू कर देगी.


चुनिंदा फोन में मौजूद हैं यह फीचर


यह फीचर अभी तक कुछ चुनिंदा ही फोन्स पर उपलब्ध हैं और हर डिवाइस के हिसाब से इसका काम करने का तरीका बदल जाता है. जैसे गूगल पिक्सल फोन पर 80 प्रतिशत बैटरी चार्ज होने के बाद ही यह फीचर ऑन होगा. इसी तरह सैमसंग मोबाइल में यह केवल गेमिंग के समय ऑन रहता है. गूगल और सैमसंग के अलावा ASUS ROG Phone 3, जेनफोन 11 अल्ट्रा, ROG Phone 9, Infinix Hot 40 Pro, QOO 13, शाओमी ब्लैक शार्क 5 और रेडमैजिक 9 प्रो आदि फोन में बाइपास चार्जिंग का फीचर मिलता है.


बाइपास चार्जिंग के फायदे क्या हैं?


बाइपास चार्जिंग में बैटरी की भूमिका खत्म हो जाती है. इसलिए फोन कम गर्म होते हैं और लंबे समय तक गेमिंग आदि की जा सकती है. बाइपास चार्जिंग में फोन ओवरहीट नहीं होता, इसलिए चिप की परफॉर्मेंस लगातार बरकरार रहती है और थर्मल थ्रॉटलिंग से बचा जा सकता है. इसमें बैटरी को बार-बार चार्ज और डिस्चार्ज नहीं होना पड़ता, इसलिए वह लंबी चलती है.


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