AI के दौर से गुजर रहे टेक जगत में चीनी स्टार्टअप DeepSeek ने भूचाल ला दिया है. इसी महीने डाउनलोड के लिए उपलब्ध हुए कंपनी के AI मॉडल ने OpenAI के ChatGPT को पछाड़ दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपने देश की कंपनियों के लिए खतरे की घंटी बताया है, वहीं OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन भी खुद को DeepSeek की प्रशंसा किए बगैर नहीं रोक पाए. आइये जानते हैं कि DeepSeek कब शुरू हुई और कैसे इसने टेक जगत में धूम मचाई है.


2023 में शुरू हुई थी कंपनी


DeepSeek की शुरुआत 2023 में हुई थी. इसके CEO लियांग वेनफेंग हैं. वह हाई-फ्लायर नामक एक हेज फंड के संस्थापक थे. इसी फंड ने DeepSeek की पूरी फंडिंग की है. कंपनी ने 2022 में Nvidia से लगभग 10,000 हाई परफॉर्मेंस वाली A100 ग्राफिक प्रोसेसर चिप खरीदी थीं. इसकी मदद से वह अपना पहला AI सिस्टम बनाने में सफल रही. इसके बाद अमेरिका ने चीन को ये चिप देने पर प्रतिबंध लगा दिया. अब DeepSeek ने कहा है कि उसका हालिया AI मॉडल Nvidia की लॉ-परफॉर्मिंग H800 चिप की मदद से बना है. इसे अमेरिका को एक जवाब माना जा रहा है. 


किफायती AI मॉडल बनाकर सबको चौंकाया


DeepSeek के AI असिस्टेंट ने डाउनलोडिंग के मामले में OpenAI के ChatGPT को पीछे छोड़ दिया है. यह अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में Apple App Store पर सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाली ऐप्स में शीर्ष पर पहुंच गया है. इस मॉडल पर आए खर्च ने दुनिया को चौंका दिया है. DeepSeek का कहना है उसका लेटेस्ट AI मॉडल महज 5.6 मिलियन डॉलर में बनकर तैयार हो गया है. यह खर्च इतना कम है कि कई लोग इस पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. इतनी कम लागत ने अमेरिकी कंपनियों को भी शक के दायरे में ला दिया है, जो AI के नाम पर भारी-भरकम निवेश कर रही हैं. पिछले हफ्ते रिलीज हुए DeepSeek-R1 को यूज करना काम के आधार पर OpenAI के o1 मॉडल की तुलना में 20-50 गुना सस्ता है. 


अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट


मेटा ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि वह AI के विकास पर 65 बिलियन डॉलर खर्च करेगी. OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने पिछले साल कहा था कि AI इंडस्ट्री को अरबों-खरबों के निवेश की जरूरत है. अब चीनी कंपनी ने एक सस्ता मॉडल लाकर इन घोषणाओं और अनुमानों को शक के दायरे में ला दिया है. इसका असर कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ा है. सस्ते AI मॉडल की खबर सामने आने के बाद अमेरिकी बाजार में Nasdaq में 3.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, वहीं S&P 500 1.5 प्रतिशत तक टूट गया था. अमेरिका के साथ-साथ दुनियाभर के बाजारों पर इसका असर देखने को मिला. 


चीन को फिर मुकाबले में लेकर आई DeepSeek


ChatGPT के साथ AI मॉडल की रेस में अमेरिका सबसे आगे था. चीन ने इसके मुकाबले में Ernie बॉट उतारा था. इसे बायडू ने तैयार किया था, लेकिन यह लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया. उस समय कहा गया था कि चीनी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में अमेरिका को टक्कर देना मुश्किल है, लेकिन अब DeepSeek ने यह बाजी पलट दी है. इसकी क्वालिटी और कम कीमत ने चीन को एक बार फिर मुकाबले में ला खड़ा किया है. DeepSeek का कहना है कि उसके V3 और R1 मॉडल OpenAI और मेटा के सबसे एडवांस्ड मॉडल के मुकाबले के हैं.


चीनी सरकार खुश 


DeepSeek की कामयाबी चीनी सरकार के लिए भी एक बड़ी सफलता की तरह आई है. अमेरिका से तमाम प्रतिबंधों के बावजूद DeepSeek वहां की कंपनियों को टक्कर दे रही है. इसे चीनी सरकार को भी राहत की सांस मिली है. DeepSeek-R1 मॉडल की लॉन्चिंग के दिन यानी 20 जनवरी को कंपनी के सीईओ लियांग ने चीन के प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की थी. दूसरी तरफ इसने डोनाल्ड ट्रंप की टेंशन बढ़ा दी है. उन्होंने इसे अमेरिकी कंपनियों के लिए 'वेकअप कॉल' करार दिया है.


भारत में कंपनी की राह मुश्किल


DeepSeek अभी भले ही पूरी दुनिया में सुर्खियों में बना हुआ है, लेकिन भारत में इसकी राह मुश्किल होने वाली है. दरअसल, सरकार चीनी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम करना चाहती है और अभी भारतीय कंपनियां अमेरिका से ही GPU और अन्य AI टेक्नोलॉजी आयात कर रही हैं. भारत सरकार पहले ही टिकटॉक समेत कई ऐप्स को ब्लॉक कर चुकी है और वह देश में Huawei और ZTE जैसी चीनी कंपनियों के इक्विपमेंट पर भी बैन लगा चुकी है. ऐसे में भारत में अपने पैर फैलाना DeepSeek के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है.


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