Moonlighting: मूनलाइटिंग के बारे में आईटी इंडस्ट्री में हर कोई बात कर रहा है. विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस और कई अन्य आईटी टेक कंपनियां मूनलाइटिंग के खिलाफ हैं. इसके विपरीत, कुछ अन्य कंपनियां, जैसे स्विगी, टेक महिंद्रा को मूनलाइटिंग से कोई दिक्कत नहीं है. इस सबके बीच यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह मूनलाइटिंग क्या है? आज की इस खबर में हम आपको मूनलाइटिंग के बारे में बताने जा रहे हैं. इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि मूनलाइटिंग इतना चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है. आइए जानते हैं.
मूनलाइटिंग क्या है?
जब कोई एंप्लॉई अपनी नियमित नौकरी के साथ चोरी-छिपे दूसरी जगह भी नौकरी या काम करता है तो उसे ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) कहा जाता है. अब इसका नाम मूनलाइटिंग इसलिए रखा गया, क्योंकि ज्यादातर सामान्य नौकरियों की टाइमिंग दिन में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक होती है. ऐसे में, दूसरी नौकरी करने के लिए रात का समय मिलता है. रात में चांद की रोशनी होती है तो बस इसलिए ही मूनलाइटिंग.
पहले कम सैलरी वाले लोग अतिरिक्त आय के लिए ऐसा किया करते थे, लेकिन कोरोना के बाद से अच्छी सैलरी पाने वाले आईटी सेक्टर के कर्मचारी भी ऐसा कर रहे हैं. जानकारों के अनुसार, आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिल सका है.
MOONLIGHTING की क्यों हो रही है चर्चा?
आईटी प्रोफेशनल्स (IT professionals) के बीच मूनलाइटिंग के इस बढ़ते चलन की वजह से आईटी सेक्टर में नई बहस शुरू हो चुकी है. विप्रो (Wipro) ने मूनलाइटिंग के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था, जिसके बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा था. इसके अलावा, आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) ने भी अपने कर्मचारियों को इंटरनल मेल करके मूनलाइटिंग को लेकर चेतावनी दी थी. वहीं, आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) भी मूनलाइटिंग के लिए विरोध दिखा चुके है.
इस सब की शुरुआत तब हुई जब स्विगी ने अगस्त के महीने में अपने कर्मचारियों के लिए अपनी मूनलाइटिंग पॉलिसी पेश की. पॉलिसी के तहत, कर्मचारियों को अधिक पैसा कमाने के लिए बाहरी परियोजनाओं को शुरू करने की परमिशन दी गई. ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी ने कहा कि मूनलाइटिंग पॉलिसी कर्मचारियों को ऑफिस के बाहर या वीकेंड्स पर अतिरिक्त काम करने की अनुमति देगी. हालांकि, स्विगी ने उल्लेख किया कि इससे फुल टाइम नौकरी में उनकी परफॉर्मेंस प्रभावित नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा, कंपनी के व्यवसाय के साथ हितों का टकराव नहीं होना चाहिए.
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