आज स्मार्टफोन हमारी जरूरत बन गया है. हम अलग-अलग कामों के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक लगभग सभी स्मार्टफोन यूज करते हैं. हालांकि, ज्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन के सभी फीचर्स के बारे में सही जानकारी नहीं होती है. कई यूजर्स ऐसे होते हैं, जिनको इन फीचर्स के बारे में पता तो होता है, लेकिन वे इन फीचर्स को यूज करने से संकोच करते हैं या फिर उनको पता नहीं होता है कि कौन सा फीचर क्या काम करता है? इन फीचर्स में रीबूट और रिस्टार्ट शामिल हैं.
कई लोग इन फीचर्स का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उन्हें न तो दोनों फीचर्स के बीच का अंतर पता होता है और न ही ये पता होता है कि ये फीचर्स क्या काम करते हैं? अगर आपको भी नहीं पता है कि रीबूट और रिस्टार्ट में क्या फर्क होता है, तो चिंता मत करिए आज हम आपको इनके बीच का फर्क बताने जा रहे हैं.
रीबूट का आसान भाषा में समझे मतलब
बूट किसी भी डिवाइस के हार्डवेयर को एक नॉन फंक्शन स्टेट्स से एक ओपरेशनल स्टेट्स में बदल देता है. अक्सर बूट का उपयोग डिवाइस शुरू करने के लिए किया जाता है. इसका काम फोन को चालू करना है. बता दें कि एक फोन को कई कारणों से रीबूट किया जा सकता है जैसे कि हैंग होना या किसी ऐप का रिस्पांस न करना.
रीस्टार्ट का आसान भाषा में समझे मतलब
रीस्टार्ट का मतलब होता है डिवाइस को बंद करके फिर से ओपन करना. इसके अलावा डिवाइस की सेटिंग में बदलाव करने के बाद उसे रीस्टार्ट किया जाता है. आपने देखा होगा कि जब आप अपने स्मार्टफोन पर फर्मवेयर या सॉफ़्टवेयर अपग्रेड करते हैं, तो आपसे अक्सर फोन रीस्टार्ट करने के लिए कहा जाता है.
रीस्टार्ट के मुकाबले फोन को तेजी से रीबूट किया जा सकता है. इसका मुख्य कारण यह है कि फोन को बंद करने और इसे फिर से चालू करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है, जबकि रिबूट करने से बहुत सारे स्टेप्स छूट जाते हैं और तेजी से काम करता है.
रीबूट और रीस्टार्ट में बेसिक अंतर
जब फोन बंद हो जाता है, तो सिस्टम और हार्डवेयर भी पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. ऐसे में जब आप फोन को रीस्टार्ट करते हैं, तो फोन के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर फिर से टेस्ट किए जाते हैं और यह डेटा को भी फिर से लोड करता है. इसके अलावा, सीपीयू पूरी गति से काम करता है और ज्यादा बिजली की खपत करेगा. हालांकि, रीबूट करने से केवल फोन के सॉफ़्टवेयर शुरू होते हैं. यह ऑटोमैटिकली कुछ स्टेप्स को छोड़ देता है और सीधे ऑपरेटिंग सिस्टम इंटरफ़ेस में एंटर हो जाता, इसलिए यह बिजली की बचत करता है.
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