Keyboard : आपने नोटिस किया होगा कि कीबोर्ड की Keys ABCD वाले सीधे क्रम में न होकर QWERTY के क्रम में होती हैं. क्या आपके मन में कभी सवाल आया है कि यह फॉर्मेट ऐसा क्यों है? अब सवाल यह भी है कि क्या होगा अगर आपके कीबोर्ड की Keys को ABCD के सीधे क्रम में व्यवस्थित कर दिए जाए? यह एक दिलचस्प सवाल है जो कई संभावनाओं और चुनौतियों को पैदा देता है. आइए इस तरह के बदलाव के कुछ संभावित प्रभावों के बारे में जानते हैं.


QWERTY का इतिहास


सबसे पहले, यह नोट करना जरूरी है कि आज कई देशों में इस्तेमाल किए जाने वाले स्टैंडर्ड कीबोर्ड लेआउट QWERTY ही है. यह लेआउट मूल रूप से मैकेनिकल टाइपराइटरों के लिए डिजाइन किया गया था और इसका उद्देश्य टाइपिंग स्पीड को धीमा करके जाम होने से रोकना था. अधिक कुशल कीबोर्ड लेआउट भी डेवलप किए गए हैं, जैसे कि Dvorak और Colemak, लेकिन QWERTY सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला लेआउट बना हुआ है.


क्या होगा अगर हम QWERTY को बदल दें?


क्या होगा अगर हम QWERTY को छोड़ दें और इसके बजाय ABCD के सीधे क्रम में Keys को व्यवस्थित करें? अगर मेरे हिसाब से देखा जाए और इतिहास को भी खंगाला जाए तो यह टाइपिंग को अधिक सहज बना देगा, खासकर उन लोगों के लिए जो नई टाइपिंग सीखेंगे. इतिहास के पन्ने बताते हैं कि QWERTY को टाइपिंग स्पीड को स्लो करने के लिए डिजाइन किया गया था तो ऐसे में ABCD वाला क्रम टाइपिंग को सहज बना सकता है. वैसे इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि QWERTY कीबोर्ड पर सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली Keys मिडल लाइन में हैं, जो उंगलियों के लिए आरामदायक है. यह संभव है कि एबीसीडी लेआउट हाथों और कलाई पर अधिक तनाव या थकान पैदा कर सकता है.


बदलाव से होंगे ये नुकसान 


हालांकि, अगर ऐसा होता भी है तो इसकी भरपाई उन लाखों लोगों को फिर से ट्रेन करने के नुकसान से होगी जो पहले से ही QWERTY पर काम कर रहे हैं. ऐसे में, उन्हें दोबारा ट्रेन होना पड़ेगा. इसके अलावा, नए लेआउट को समायोजित करने के लिए कीबोर्ड हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को फिर से डिजाइन करना पड़ेगा. इसके लिए इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होगी. उदाहरण के लिए, कई कंप्यूटर प्रोग्राम QWERTY कीबोर्ड के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, इसलिए लेआउट बदलने के लिए उन प्रोग्राम में भी बदलाव की आवश्यकता हो सकती है.



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