क्या आप जानते हैं दुनिया का पहला Password कब बना था और इसे किसने बनाया? इस वजह से पड़ी थी जरूरत
First Digital Password: आज हम में से ज्यादातर लोग अपनी पर्सनल फाइल्स को पासवर्ड से प्रोटेक्ट करके रखते हैं. इससे हमारी प्राइवेसी बनी रहती है.
When was first Digital password invented? छोटे से छोटे स्मार्टफोन में आज पासवर्ड लगाने का ऑप्शन मिलता है. पासवर्ड हमारे फोन की औरों से रक्षा करता है. यदि आज पासवर्ड न होता तो न जाने दुनिया किस तरह काम कर रही होती. हम सभी अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप, टेबलेट, यहां तक कि पैसे रखने वाले लॉकर में भी पासवर्ड लगाकर रखते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा कि दुनिया का पहला पासवर्ड कब बना था और इसे किसने बनाया. आखिर क्यों इसकी जरूरत पड़ी? आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे.
इस शख्स ने बनाया दुनिया का पहला पासवर्ड
दरअसल, पहला डिजिटल पासवर्ड MIT के कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर फर्नांडो कॉर्बेटो ने 1961 में बनाया था. इसी के बाद पासवर्ड लोकप्रिय हुआ और धीरे-धीरे सभी जगह इसका इस्तेमाल होने लगा. अआप सोच रहें होंगे कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी? जरूरत इसलिए पड़ी क्योकि प्रोफेसर फर्नांडो कॉर्बेटो ने इंस्टीट्यूट के अन्य शोधकर्ताओं के साथ एक कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया था जिसपर सभी काम करना चाहते थे. हर कोई कम्प्यूटर पर अपना-अपना टाइम चाहता था, इस समस्या से निपटने के लिए MIT के प्रोफेसर ने पहली बार डिजिटल पासवर्ड बनाया और सभी को अलग-अलग पासवर्ड अलॉट किए ताकि हर कोई कम्प्यूटर पर अपनी फाइल्स आदि पर काम कर सके.
बाद में हुआ पछतावा
डिजिटल पासवर्ड का इजात करने के बाद जैसे-जैसे ये लोकप्रिय हुआ तो इसका तोड़ भी लोगों ने निकाल लिया और हैकिंग के जरिए लोग पासवर्ड को क्रैक करने लगे. इसी बात को लेकर फर्नांडो कॉर्बेटो को पछतावा हुआ क्योकि लोग पासवर्ड को हैक कर इसका गलत इस्तेमाल करने लगे थे. आज भी हैकिंग खूब होती है और लोगों का कीमत डेटा और पैसा हैकर्स की नजर में हमेशा बना रहता है.
बता दें, फर्नांडो कॉर्बेटो ने 1946 में नौसेना छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया और स्नातक की डिग्री हासिल की. फिर उन्होंने 1956 में MIT ( मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से फिजिक्स में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की और यहीं पर वो प्रोफेसर के रूप में काम करने लगे. यहीं उन्होंने डिजिटल पासवर्ड की खोज की और सेवानिवृत्त तक MIT में ही काम करते रहे.
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