इलेक्ट्रॉनिक्स इंजन के दौर में स्टीम इंजन को चलते देखना किसी कल्पना से कम नहीं है. बीते सोमवार को सेंट्रल रेलवे ने नेरल (Neral) स्टेशन पर इस कल्पना को हकीकत में तब्दील किया है. दरअसल, दुनियाभर में 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) के तौर पर मनाया जाता है. इस बार भारत ने खास मौके पर खास काम किया है.


सेंट्रल रेलवे ने नेरल स्टेशन पर 105 साल पुराने स्टीम इंजन 'स्टीम लोको 794 बी' (अब डीजल से चलने वाले) को दोबारा पटरी पर दौड़ाकर पुरानी यादों का ताजा कर दिया है. 






सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शिवाजी एम सुतार (Shivaji M Sutar) ने ट्वीट कर विश्व विरासत दिवस पर हैरिटेज रन की जानकारी शेयर की है. ये हैरिटेज रन 2 किलोमीटर लंबी थी, जिसे नेरल रेलवे स्टेशन से शुरू किया गया था. जानकारी के मुताबिक इस हैरिटेज रन (Heritage Run) में 3 डिब्बे (1 विस्टाडोम, 1 द्वितीय श्रेणी और 1 गार्ड वैन) को लगाया गया था. सेंट्रल रेलवे ने 105 साल पुराने स्टीम लोको 794 बी को दोबारा पटरी पर दौड़ाकर इतिहास को दोहराया है.






अपने दौर के सबसे शक्तिशाली इंजनों में से एक था स्टीम लोको 794 बी
1917 में फिलाडेल्फिया स्थित अमेरिकी कंपनी बाल्डविन लोको वर्क्स द्वारा बनाया गया स्टीम लोको 794 बी अपने दौर के सबसे शक्तिशाली इंजनों में से एक था. ये इंजन 1990 के दशक तक काम में लिया जा रहा था. दार्जिलिंग स्थित हिमालयन रेलवे पर इसे चलते हुए देखा जा सकता था, जिसे बाद में डीजल से चलने वाले मॉडल में बदल दिया गया.


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