नई दिल्ली: समाज-सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती की आज 137वीं पुण्यतिथि है. आज के दिन उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है. ट्विटर पर तमाम लोग उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. गुजरात में  जन्मे स्वामी दयानंद ब्राहमण परिवार से थे.


स्वामी जी के बारे में बताया जाता है कि वो अपने स्कूली जीवन में शिष्यों के गुस्से से परेशान हो जाते थे. जिस कारण वो कक्षा से भाग जाया करते थे. ऐसा बहुत कम होता था कि वो पूरा वक्त कक्षा में रहे हों. उनको अध्यापक दंडित भी करते थे. एक बार एक अध्यापक ने उन्हें गुस्से में आकर छड़ी से उनकी खूब पिटाई कर दी थी. लेकिन दयानंद ने बुरा ना मानते हुए गुरुजी को कहा कि उन्हें खेद है कि उनके हाथों को कष्ट हुआ.


भगवान अपनी रक्षा नहीं कर सकते तो मानव की कैसे करेंगे- स्वामी दयानंद


ब्राह्मण परिवार से होने के कारण वह अक्सर पूजा-पाठ अपने घर में देखते रहते थे. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया. दरअसल बचपन में शिवरात्रि के दिन स्वामी दयानंद का पूरा परिवार रात्रि जागरण के लिए एक मंदिर में रुका हुआ था और उस दिन उनका पूरा परिवार सो गया तब भी वो जाग रहे थे. उन्हें इंतजार था कि भगवान शिव को जो प्रसाद चढ़ाए गए हैं वह उन्हें स्वयं ग्रहण करेंगे.


उन्होंने देखा कि चूहेस शिवजी के प्रसाद को खा रहें है. जिसको देख वो काफी आशर्चय हुए. उन्होंने कहा कि भगवान खुद के चढ़ाये गए प्रसाद की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो वो मानव की रक्षा कैसे करेंगे. इस बात को लेकर वो मूर्ति पूजा के खिलाफ हो गए थे.


उन्होंने आर्य समाज की स्थापना कर विश्व में हिन्दू धर्म की पहचान करवाई थी. उन्होंने ग्रंथ रचना को हिंदी में आरंभ किया था साथ ही संस्कृत में लिखे ग्रंथों को हिन्दी में बदला था. दयानंद जी का भारतीय स्वतंत्रता अभियान में बहुत बड़ा योगदान माना जाता है. उन्होंने पूरे देश का दौरा कर पंडित समेत विद्वानों को वेदों की जानकारी देते हुए उसके महत्व के बारें में बताया था.


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