Brooke India Study: भारत में पिछले 7 साल में 61 प्रतिशत घटी गधों की आबादी, नई स्टडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे
New Study Result: इस स्टडी में पता चला है कि जिंदा गधों, उनकी खाल और मीट का अवैध निर्यात सीमापार आसान रास्तों से हो रहा है. इसके अलावा भी कई जानकारियां सामने आई हैं, जो हैरान करने वाली हैं.
![Brooke India Study: भारत में पिछले 7 साल में 61 प्रतिशत घटी गधों की आबादी, नई स्टडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे Brooke India Study reveals that Donkey population on decline in India from 2012 to 2019 Know in detail Brooke India Study: भारत में पिछले 7 साल में 61 प्रतिशत घटी गधों की आबादी, नई स्टडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/5/2016/10/03173019/160929105601-donkey-close-up-exlarge-169.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Brooke India Study News: भारत में पिछले 7 सालों में गधों की आबादी में 61 प्रतिशत की कमी आई है. यह खुलासा एक हालिया स्टडी में हुआ है. हैरान करने वाली बात यह है कि गधों की आबादी में गिरावट की एक बड़ी वजह विदेशों तक होने वाली अवैध गतिविधियां भी हैं. यह स्टडी ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘ब्रुक’ की भारतीय यूनिट ब्रुक इंडिया (Brooke India) ने की है. इसका उद्देश्य भारत में गधों की खाल के व्यापार की मौजूदगी को समझना था. स्टडी के मुताबिक साल 2012 से 2019 के बीच गधों की आबादी में तेजी से घटी है. इसके प्रमुख कारण उपयोगिता में कमी, चोरी, गैर कानूनी तरीके से वध, चारागाहों की कमी हैं.
इस स्टडी के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के इलाकों का दौरा कर लोगों का साक्षात्कार लिया गया. ये वे इलाके हैं जहां पर जीविकोपार्जन गणना के मुताबिक वर्ष 2012 से 2019 के बीच गधों की आबादी में कमी आई है. अध्ययन में रेखांकित किया गया कि साक्षरता दर में वृद्धि, ईंट भट्टों में मशीनीकरण और सामान ढोने के लिए गधों के बजाय खच्चर के इस्तेमाल भी इनकी आबादी में कमी आने के कारणों में शामिल हैं.
अध्ययन के मुताबिक महाराष्ट्र में इन आठ सालों के दौरान गधों की आबादी में 39.69 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि आंध्रप्रदेश में गधों की आबादी में 53.22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इसी प्रकार राजस्थान में वर्ष 2012-2019 के बीच गधों की आबादी में 71.31 प्रतिशत, गुजरात में 70.94 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 71.72 प्रतिशत और बिहार में 47.31 प्रतिशत की कमी आई है.
स्टडी में कहा गया कि नेपाल की खुली सीमा और गधों की खरीद-बिक्री के लिए मेला का आयोजन भी इस धारणा को खारिज करता है कि देश गधों की अवैध हत्या से मुक्त है. अध्ययन में पाया गया कि जिंदा गधों, उनकी खाल और मीट का अवैध निर्यात सीमापार आसान रास्तों से हो रहा है. इसमें रेखांकित किया गया, ‘‘गधों के कारोबारी और उनके पालक दावा करते हैं कि वे गधों की अवैध परिवहन और खरीद-बिक्री के बारे में जानते हैं. वे निश्चित हैं कि गधों का सामान्य इस्तेमाल जैसे सामान या लोगों को ढोने में नहीं होगा.’’
जांच में पता चला कि गधों की खाल की तस्करी अन्य देशों, खासतौर पर चीन में इजियाओ के लिए की जाती है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के इलाज में होता है. एक गधा कारोबारी के हवाले से अध्ययन में कहा गया कि उसे एक चीनी व्यक्ति ने कुछ साल पहले हर महीने 200 गधे खरीदने के लिए संपर्क किया था. अध्ययन में कहा गया, ‘‘चीनी व्यक्ति ने उसे महाराष्ट्र के स्थानीय व्यक्ति के जरिये संपर्क किया और कहा कि केवल गधों की खाल की जरूरत है."
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