Trending Video: ओडिशा का मयूरभंज जिला अपनी समृद्ध संस्कृति और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के लिए जाना जाता है. यहां के आदिवासी लोगों की अपनी विशिष्ट परंपराएं और व्यंजन हैं. जिले का एक खास व्यंजन है 'काई चटनी' या लाल चींटियों की चटनी जो कि लाल चींटियों से बनाया जाता है. शायद यह सुनकर अजीब लगे लेकिन यह सच है. इस चटनी का स्वाद बेहद स्वादिष्ट होता है.  इसके साथ ही यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है. यहां जो भी पर्यटक आते हैं उन्हें बहुत पसंद आता हैं. 2 जनवरी 2024 को इस चटनी को इसके अनूठे स्वाद और गुणों के लिए भौगोलिक संकेत यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला है. वीडियो को CG TOURIST GUIDE के यूट्यूब चैनल से शेयर किया गया है. जिसे अब तक हजारों बार देखा गया है.


ऐसे बनाई जाती है चटनी


वसंत ऋतु में लाल चींटियां पेड़ों पर अपने छत्ते बनाती हैं. ग्रामीण लोग इन छत्तों को इकट्ठा कर लेते हैं. फिर इन चींटियों को सिलबट्टों पर पीसकर एक पेस्ट तैयार की जाती है.इसमें नमक, लाल मिर्च, हल्दी और धनिया जैसे मसाले डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. कुछ लोग स्वाद के लिए अदरक-लहसुन का पेस्ट भी मिला देते हैं. इस तरह तैयार लाल चींटी की स्वादिष्ट और पौष्टिक चटनी को चाव से खाया जा सकता है. लोगों का कहना है कि इस चटनी को कच्चा भी खाया जा सकता है, जिसमें कोई मिश्रण मौजूद नहीं होता है.


देखें वायरल वीडियो



चींटियों को कच्चा खा जाते हैं लोग


मिंट के हवाले से पता लगा कि, जब जरूरत होती है, तो चींटियों के रहने वाले पत्तों के घोंसलों को उनके मेजबान पेड़ों से सावधानीपूर्वक तोड़ लिया जाता है, फिर उन्हें पानी की एक बाल्टी में इकट्ठा कर लिया जाता है. पत्तियों और मलबे से सावधानीपूर्वक छंटाई और पृथक्करण के बाद, चींटियों के पसंदीदा लार्वा और वयस्क चरणों को या तो कच्चा ही खा लिया जाता है या मसालेदार सामग्री डालकर स्वादिष्ट 'चटनी' में बदल दिया जाता है.


इस चटनी के हैं कई सारे लाभ


उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोध से पता चलता है कि ये चींटियाँ प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12 और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, दृष्टि में सुधार होता है और मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को फायदा पहुंचता है. मयूरभंज के कई आदिवासी समुदायों के लिए इन चींटियों और उनकी चटनी को इकट्ठा करना और बेचना आवश्यक आय प्रदान करता है। इसके अलावा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे पड़ोसी राज्यों में भी लाल चींटियों की चटनी लोकप्रिय है.


यह भी पढ़ें: Video: अब सामने आया 'वाइब्रेशन बाबा' का वीडियो, फूलों के सेज में बैठकर दिखाए करतब