Coronavirus: 97 साल की उम्र में दी कोरोना को मात, द्वितीय विश्व युद्ध में रही हैं ऑशविट्ज़ सर्वाइवर
ऑशविट्ज़ के दौरान जीवित रहने वाले 97 साल की लिली एबर्ट ने कोरोना को मात दे दी है. उन्हें जनवरी के शुरुआती हफ्ते में कोरोना संक्रमित पाया गया था. जिसके बाद तीन हफ्ते तक घर पर चले इलाज के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गई हैं.
दुनियाभर में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. अभीतक 10 करोड़ 13 लाख से ज्यादा लोग दुनियाभर में संक्रमित हो गए हैं. फिलहाल अब तक 7 करोड़ 31 लाख से ज्यादा लोग इससे ठीक भी हुए हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो काफी ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी इस बिमारी से लड़कर ठीक होकर घर लौट रहे हैं. हाल ही में लंदन में एक महिला 97 साल की उम्र में कोरोना सं ठीक होकर वापस घर लौटी हैं.
दरअसल ऑशविट्ज़ के दौरान जीवित रहने वाले 97 साल की लिली एबर्ट कोरोना संक्रमित पाई गई थी. जो लंबे इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो गई हैं. जिसकी खबर उनके पोते ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दी है.
My 97-Year-old Great Grandma, Lily Ebert BEM - Auschwitz Survivor, has just recovered from Covid- 19.
Today she went on her first walk in a month after making a miraculous recovery. ❤️????A fighter and survivor????❤️ pic.twitter.com/1iuHkvjqIf — Dov Forman (@DovForman) January 21, 2021
97 साल की उम्र में कोरोना को दी मात
लिली के पोते ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि 'मेरी 97 साल की दादी लिली एबर्ट जो की ऑशविट्ज़ सर्वाइवर हैं, उन्होंने कोरोना संक्रमण से अभी-अभी ठीक होकर वापस आई हैं. आज वह ठीक होने के लगभग एक महीने बाद अपनी पहली वॉक पर निकली हैं.'
तीन हफ्ते तक चला इलाज
एनबीसी न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में लिली के पोते फॉर्मन ने कहा कि उनकी दादी लिली एबर्ट को जनवरी में कोरोना संक्रमित पाया गया था. जिसके बाद घर पर ही उनका इलाज जारी रहा और तीन सप्ताह बाद पूरी तरह से इस बिमारी से ठीक हो गई.
दिसंबर में लगी थी कोरोना वैक्सीन
हालांकि फॉर्मन ने यह भी बताया कि बीते साल 17 दिसंबर को लिली को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक भी दी गई थी, जिसके कुछ हफ्तों बाद उनकी दादी अस्वस्थ महसूस करने लगी औऱ बाद उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया गया.
क्या है ऑशविट्ज़ सर्वाइवर
एनबीसी न्यूज के अनुसार लिली एबर्ट साल 1944 में ऑशविट्ज़ पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने ऑशविट्ज़ कैंप में चार महीने बिताए, जहां उनकी मां, भाई और बहन को मौत हो गई थी. बता दें कि ऑशविट्ज़ सर्वाइवर या होलोकॉस्ट सर्वाइवर वह लोग हैं जो यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान नाजी जर्मनी और उसके सहयोगियों से बचे रहे. इस दौरान यहूदियों का उत्पीड़न बड़ी संख्या में किया जाता था.
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