अमेरिका के मिसूरी में एक बेटी ने अपने बीमार पिता को गुपचुप तरीके से किडनी डोनेट की. दरअसल पिता लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. बेटी ने कई बार किडनी डोनेट करने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन पिता अपनी बेटी को मुश्किल में नहीं देख सकते थे. इसलिए उन्होंने हर बार अपनी बेटी को ऐसा करने से मना किया. हालांकि बेटी का दिल नहीं माना, इसलिए उसने सिक्रेट तरीके से किडनी डोनेट करने का प्लान बनाया. जब पिता का किडनी ट्रांसप्लांट सही तरीके से हो गया तब बेटी उनके वार्ड में आई, जिसके बाद उन्हें पता चला कि किडनी डोनर उनकी बेटी है.


पिता का नाम जॉन इवानोव्स्की है. जॉन किडनी की एक गंभीर बीमारी का सामना कर रहे थे. उन्हें हर दो दिन में पांच घंटे तक डायलिसिस मशीन पर रहना पड़ता था. 25 साल की उनकी बेटी डेलायने ने उनसे कई बार रिक्वेस्ट की कि वह उसे अपनी किडनी उन्हें डोनेट करने दें, लेकिन पिता यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी की जिंदगी किसी भी तरह से खतरे में पड़े. लिहाजा वह हर बार उसे किडनी डोनेट करने से मना करते रहे. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिता कहते थे कि "तुम अभी बहुत छोटी हो. तुम्हें लंबे समय तक यह जिंदगी जीनी है. जबकि मेरे पास समय कम है."


बेटी का नहीं माना दिल


पिता के कई बार समझाने के बाद भी बेटी डेलायने का दिल नहीं माना. वह अपने पिता को कुछ भी नहीं होने देना चाहती थी, लिहाजा उसने अपने पिता को बताए बिना ही किडनी डोनेट करने का फैसला कर लिया. जब पिता की हालत थोड़ी बेहतर दिखी, तब डेलायने ने किडनी डोनेट करने के लिए अपने कुछ टेस्ट कराए, जिसके बाद डॉक्टर ने कहा कि वह किडनी डोनेट कर सकती हैं. एक नर्स ने डेलायने के हवाले से बताया कि उन्होंने सोच लिया था कि वह ही किडनी डोनेट करेंगी. डेलायने ने कहा कि मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि वह (पिता) मुझे घर से निकाल देंगे या मुझसे नफरत करेंगे और जिंदगीभर बात नहीं करेंगे. कम से कम मेरे इस फैसले से वह एक अच्छी जिंदगी जिएंगे और मशीन पर निर्भर नहीं रहेंगे.'



पिता ने बेटी को गले लगाया


फैसला करने के बाद बेटी ने आखिरकार अपने पिता को किडनी डोनेट कर दी. किडनी ट्रांसप्लांट के अगले दिन जब डेलायने अपने पिता से मिलने उनके वार्ड में गईं तो पिता हैरान रह गए हैं और फफक-फफककर रोने लगे. दरअसल पिता बेटी को किडनी डोनेट करने के लिए इसलिए मना कर रहे थे, क्योंकि 16 साल पहले उन्होंने अपने बेटे को न्यूरोब्लास्टोमा नाम की एक बीमारी की वजह से खो दिया था, जो एक प्रकार का कैंसर है. बेटे को खोने के बाद जॉन अपनी बेटी को नहीं खोना चाहते थे. इसी वजह से वह हमेशा बेटी को किडनी डोनेट करने से मना करते हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जॉन अब बेहतर महसूस कर रहे हैं. उन्होंने अपनी बेटी गले से लगाया और उसका शुक्रिया अदा किया.


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