'अब एक गाय भी बांध लो...' गर्मी से बचने के लिए क्लासरूम की दीवारों पर मैडम ने गोबर से कर दी लिपाई, वीडियो वायरल
Viral Video: वीडियो में देखा जा सकता है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लासरूम में गोबर का लेप पोत रही है. उनके साथ बाकी लोग भी क्लासरूम में दिखाई दे रहे हैं.

Trending Video: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में एक महिला प्रोफेसर का क्लासरूम की दीवारों और फर्श पर गोबर का लेप लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर जोरों से वायरल हो रहा है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वह प्रोफेसर पारंपरिक तरीके से गोबर को कमरे में चारों ओर फैला रही हैं और दावा कर रही हैं कि यह रिसर्च का हिस्सा है. यह घटना सामने आते ही इंटरनेट पर हंगामा मच गया. कुछ लोग इसे भारतीय परंपरा से जोड़कर सराहना कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे तगड़ी आलोचना के साथ "शिक्षा में अंधविश्वास" की मिसाल बता रहे हैं.
क्लासरूम को गोबर से रंगती दिखाई दीं यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर
वीडियो में देखा जा सकता है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लासरूम में गोबर का लेप पोत रही है. उनके साथ बाकी लोग भी क्लासरूम में दिखाई दे रहे हैं. प्रोफेसर बैंच पर खड़े होकर बड़ी शिद्दत के साथ हाथों से क्लास रूम की दीवारों की रंगाई करते हुए दिखाई दे रही है. यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा...दिल्ली विश्वविद्यालय के LB कॉलेज की प्रिंसिपल ने गाय के गोबर से कॉलेज की दीवारों की लिपाई का काम शुरू कर दिया है. हमें विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के LB कॉलेज की प्रिंसिपल ने गाय के गोबर से कॉलेज की दीवारों की लिपाई का काम शुरू कर दिया हैं..!
— SHILPI PARIHAR (@ShilpiSinghINC) April 13, 2025
हमें विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता हैं..!
😉😉😉 pic.twitter.com/uMg8Otq7UK
यूजर्स ने जमकर लिए मजे
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है. ट्विटर पर लोग मीम्स और चुटकुलों के जरिए घटना पर कटाक्ष कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, "चांद पर मिशन भेज रहे हैं, लेकिन क्लास में गोबर पोत रहे हैं. भारत सच में विकास कर रहा है." वहीं दूसरे यूजर ने कहा, "ये रिसर्च है या ‘शिक्षा का अपमान’?"
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कई छात्रों ने इस कृत्य पर आपत्ति जताई है और कहा है कि क्लासरूम जैसी जगह पर गोबर लगाने से न सिर्फ स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है, बल्कि यह आधुनिक शिक्षा व्यवस्था की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है. हालांकि प्रोफेसर ने बताया कि यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो कॉलेज के एक फैकल्टी सदस्य की देखरेख में चल रहा है. रिसर्च फिलहाल प्रक्रिया में है और पूरा डेटा एक हफ्ते बाद शेयर किया जाएगा.
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