भारत की पहली महिला शिक्षक फातिमा शेख एक काल्पनिक पात्र हैं, खूब वायरल हो रहा है दिलीप मंडल का यह दावा
Dilip Mandal On Fatima Sheikh: दिलीप मंडल का कहना है कि फातिमा शेख नाम की कोई महिला कभी थी ही नहीं. यह उनकी ओर से गढ़ा गया एक काल्पनिक पात्र है. खूब वायरल हो रहा है उनका यह दावा.
Dilip Mandal On Fatima Sheikh: सोशल मीडिया पर अक्सर छाए रहने वाले प्रोफेसर दिलीप मंडल एक बार फिर से सोशल मीडिया की सुर्खियां बन गए हैं. इसकी वजह है भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका कहीं जाने वाली फातिमा शेख. 9 जनवरी 1831 को फातिमा शेख ने जन्म लिया था. गूगल ने 9 जनवरी को उनको डूडल बनाकर ट्रिब्यूट पेश किया था. जैसा कि गूगल अक्सर करता है.लेकिन इसी बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मीडिया सलाहकार प्रोफेसर दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया पर एक अलग ही दावा कर दिया है. दिलीप मंडल का कहना है कि फातिमा शेख नाम की कोई महिला कभी थी ही नहीं. यह उनकी ओर से गढ़ा गया एक काल्पनिक पात्र है. प्रोफेसर दिलीप मंडल के इस दावे के बाद से बहुत से लोग उनसे खफा नजर आ रहे हैं. और फातिमा शेख के बारे में उन्हें सबूत दिखने लगे हैं.
कौन थीं फातिमा शेख?
फातिमा शेख को सावित्रीबाई फुले का सहयोगी माना जाता है. सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी. तो वहीं फातिमा शेख को देश की पहली महिला मुस्लिम शिक्षका कहा जाता है. फातिमा सना शेख का जन्म 19 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में हुआ था. सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर उन्होंने लड़कियों को शिक्षा दिलाने के लिए काफी काम किया था. लड़कियों के लिए उन्होंने स्कूल खोलने में भी काफी मदद की थी. कहा जाता है कि उनके इस काम में फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख भी शामिल थे.
दिलीप मंडल बोले- 'फातिमा शेख कभी थीं ही नहीं'
एक और जहां कल 9 जनवरी को पूरा भारत फातिमा शेख के योगदान को याद कर रहा था और उनकी जयंती मनाई जा रही थी. तो वहीं दूसरी ओर प्रोफेसर दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने अधिकारिक अकाउंट @Profdilipmandalसे ट्वीट करते हुए पर फातिमा शेख के वजूद पर भी सवाल उठा दिए. उन्होंने लंबी चौड़ी ट्वीट में लिखा कि 'मुझे माफ़ कीजिए। दरअसल फ़ातिमा शेख कोई थी ही नहीं। यह ऐतिहासिक चरित्र नहीं है। ये मेरी निर्मिती है। मेरा कारनामा।'
मुझे माफ़ कीजिए। दरअसल फ़ातिमा शेख कोई थी ही नहीं। यह ऐतिहासिक चरित्र नहीं है। ये मेरी निर्मिती है। मेरा कारनामा।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 9, 2025
ये मेरा अपराध या गलती है कि मैंने एक ख़ास दौर में शून्य से यानी हवा से इस नाम को खड़ा किया था।
इसके लिए किसी को कोसना है तो मुझे कोसिए। आंबेडकरवादी वर्षों से इस…
यह भी पढ़ें: रशियन लड़की के साथ उदयपुर में हुई बदसलूकी, हिंदी समझने वाले पति ने लगा दी क्लास
इसके बाद दिलीप मंडल ने आगे लिखा 'ये मेरा अपराध या गलती है कि मैंने एक ख़ास दौर में शून्य से यानी हवा से इस नाम को खड़ा किया था। इसके लिए किसी को कोसना है तो मुझे कोसिए। आंबेडकरवादी वर्षों से इस बात के लिए मुझसे नाराज़ हैं। माननीय अनिता भारती से लेकर डॉक्टर अरविंद कुमार खुलकर मेरे प्रति नाराज़गी जता चुके हैं। मत पूछिए कि मैंने ये क्यों किया था। वक्त वक्त की बात है। एक मूर्ति गढ़नी थी सो मैंने गढ़ डाली। हज़ारों लोग गवाह हैं। ज़्यादातर लोगों में ये नाम पहली बार मुझसे जाना है।'
यह भी पढ़ें: कलयुगी पिता की काली करतूत! बेटे की गर्लफ्रेंड को सौतेली मां बनाकर ले आया बाप, सदमे में पूरा परिवार
लोगों ने दिखाए वास्तविकता के सबूत
जहां दिलीप मंडल ने ट्वीट करते हुए फातिमा शेख को काल्पनिक पात्र कहा. तो वहीं उसके बाद बहुत से लोगों ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए फातिमा शेख से जुड़े सबूत भी दिखाए. एक यूजर ने एक किताब का पेज पोस्ट करते हुए दिलीप मंडल को जवाब दिया 'आप कह रहे हो “2006 से पहले फ़ातिमा शेख़ का कहीं कोई ज़िक्र नहीं था। उन्हें आपने काल्पनिक रूप से गढ़ा। कोई किताब दिखा दो।” मैं आपको 1991 की किताब दिखा रहा हूँ। इसमें स्पष्ट लिखा है कि फ़ातिमा शेख़ सावित्री बाई फूले जी की सहयोगी थीं। अब अपना मुँह चुप रखना। आया बड़ा शर्त लगाने।'
आप कह रहे हो “2006 से पहले फ़ातिमा शेख़ का कहीं कोई ज़िक्र नहीं था। उन्हें आपने काल्पनिक रूप से गढ़ा। कोई किताब दिखा दो।” मैं आपको 1991 की किताब दिखा रहा हूँ। इसमें स्पष्ट लिखा है कि फ़ातिमा शेख़ सावित्री बाई फूले जी की सहयोगी थीं। अब अपना मुँह चुप रखना। आया बड़ा शर्त लगाने। pic.twitter.com/vOMNxtcGCZ
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) January 9, 2025
यह भी पढ़ें: शख्स ने सोते-सोते AI से 1000 नौकरियों में किया अप्लाई, सुबह उठा तो रह गया हैरान