पिछले साल अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण से ठीक पहले देश छोड़कर भागे अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री खालिद पायेंदा अब वाशिंगटन में उबर ड्राइवर के तौर पर अपना जीवनयापन कर रहे हैं. द गार्जियन ने पायेंदा के हवाले से कहा, "अगर मैं अगले दो दिनों में 50 ट्रिप्स (यात्राएं) पूरी करता हूं, तो मुझे 95 डॉलर का बोनस मिलेगा." द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि द वाशिंगटन पोस्ट ने एक होंडा एकॉर्ड कार के पास पायेंदा के हवाले से यह जानकारी दी.


40 वर्षीय पूर्व राजनेता ने कभी यूएस-समर्थित 6 अरब डॉलर का बजट पेश किया था और अब हालात यह हैं कि उन्होंने टैक्सी चलानी पड़ रही है. पोस्ट ने बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में एक रात में, उन्होंने छह घंटे के काम के लिए 150 डॉलर से कुछ अधिक की कमाई की. वह टैक्सी से होने वाली ट्रिप्स की आमतौर पर गिनती नहीं करते और जीवनयापन के लिए कड़ी मेहनत करते हुए लगातार काम कर रहे हैं. तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने से एक हफ्ते पहले पायेंदा ने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति असरफ गनी के साथ उनके संबंध बिगड़ गए थे.


इस डर से कि राष्ट्रपति उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दे सकते हैं, इसलिए वे अमेरिका के लिए रवाना हो गए, जहां वे अपने परिवार में शामिल हो गए. पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस दिन काबुल पर कब्जा हुआ, तब विश्व बैंक के एक अधिकारी को एक संदेश में पायेंदा ने कहा, "लोगों के लिए काम करने वाली प्रणाली बनाने के लिए हमारे पास 20 साल और पूरी दुनिया का समर्थन था." उन्होंने इस बारे में विस्तार से बात करते हुए कहा था, "हमारे पास 20 साल थे और पूरी दुनिया का समर्थन था कि हम ऐसा तंत्र बनाएं जो हमारे लोगों के लिए काम करे, लेकिन हमने केवल ताश के पत्ते खड़े किए, जो आसानी से बिखर गए. यह ताश के पत्ते भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े थे."


खालीपन वाली भावना


पोस्ट ने पायेंडा को एक यात्री को यह बताते हुए रिकॉर्ड किया कि काबुल से वाशिंगटन की ओर उनका कदम एक एडजस्टमेंट या समायोजन के तौर पर था. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने परिवार का समर्थन करने में सक्षम होने के अवसर के लिए आभारी हैं, लेकिन, साथ ही उन्होंने कहा, "अभी, मेरे पास कोई जगह नहीं है. मैं यहां से संबंध नहीं रखता हूं और मैं अब वहां से भी संबंध नहीं रखता हूं. यह एक बहुत ही खालीपन वाली भावना है." उन्होंने आगे कहा, "मैंने बहुत असमानता देखी और हम असफल रहे. मैं विफलता का हिस्सा था. जब आप लोगों के दुख को देखते हैं और आप जिम्मेदार महसूस करते हैं तो यह मुश्किल होता है."


पायेंदा ने पोस्ट को बताया कि उनका मानना है कि अफगान नागरिकों में सुधार करने, गंभीर होने की सामूहिक इच्छा नहीं थी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को 9/11 के बाद की नीति का केंद्रबिंदु बनाकर अमेरिका ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को धोखा दिया है.


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