खिड़की से देखा तो रस्ते पर कोई नहीं था
खिड़की से देखा तो रस्ते पर कोई नहीं था
वाह वाह
फिर रस्ते पर जाके देखा तो खिड़की पर कोई नहीं था.
तुझे पाने के लिये कुछ भी कर सकता हूं,
तेरे प्यार में जी तो क्या मर भी सकता हूं,
फिर भी तू नहीं मिली तो मुझे कोई गम नहीं,
इस तरीके से दूसरी भी सेट कर सकता हूं.
चढ़ गया ना बुखार,
लग गई नज़र ज़माने की,
क्या ज़रूरत थी तुम्हें आज,
इतने दिनों बाद नहाने की.
मैं आपको चांद कह दूं,
लेकिन उसमें भी दाग है,
मैं आपको सूरज कह दूं,
लेकिन उसमें भी आग है,
मैं आपको बंदर कह दूं,
लेकिन उसमें भी दिमाग है.
इश्क के नशे में बेकाबू न बनना,
इश्क के नशे में बेकाबू न बनना,
बाबा बन जाना पर,
किसी का बाबू न बनना.
नज़र मिले तो उसे इज़हार कहते हैं,
रात को नींद न आए, तो उसे प्यार कहते हैं.
और जो इन चक्करों में न पड़े,
उसी को समझदार कहते हैं.
इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाए,
हम तेरे सिर की कसम झूठी खाने लग जाएं,
मैं अगर सुना दूं अपनी जवानी के क़िस्से,
ये जो लौंडे हैं मेरे पांव दबाने लग जाएं.
चली जाती है ब्यूटी पार्लर में यूं,
उनका मकसद है मिसाल-ए-हूर हो जाना.
अब कौन समझाए इन लड़कियों को,
मुमकिन नहीं, किशमिश का फिर से अंगूर हो जाना.
बंदा इसलिए शादी करता है कि सुकून से रहे,
जो शादी नहीं करते, वे भी इसीलिए शादी नहीं करते,
शादी वह अमल है, जिसमें दो लोग मिलकर इस तरह रहते हैं,
कि एक दूसरे को रहने नहीं देते...
वैसे शायरों को ज़रूर शादी करनी चाहिए...
अगर बीवी अच्छी मिल गयी तो ज़िन्दगी अच्छी हो जाएगी,
बीवी अच्छी न मिली तो शायरी अच्छी हो जाएगी.
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