भूख मिटाने के लिए 'मिट्टी' से बनी रोटियां खाते हैं इस देश के लोग, नहीं मिलता खाना
एक ओर जहां कुछ लोग जरूरत से ज्यादा खाना लेकर उसे बर्बाद करते हैं तो वहीं दूसरी ओर एक देश के लोग मिट्टी से बनी कूकीज़ और रोटी खाकर अपनी भूख मिटाने को मजबूर होते हैं.
सेहतमंद रहने के लिए पौष्टिक भोजन करना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि हमारे शरीर में होने वाली तमाम बीमारियों का कनेक्शन कहीं न कहीं पोषक तत्वों की कमी से है. लेकिन आपको यह बात जानकर बहुत हैरानी होगी कि एक देश के गरीब तबके के लोग जिंदा रहने के लिए मिट्टी से बनी रोटियां खाते हैं. जी हां मिट्टी से बनी रोटियां. एक ओर जहां कुछ लोग जरूरत से ज्यादा खाना लेकर उसे बर्बाद करते हैं तो वहीं दूसरी ओर एक देश के लोग मिट्टी से बनी कूकीज़ और रोटी खाकर अपनी भूख मिटाने को मजबूर होते हैं.
कैरेबियन सागर में स्थित 'हैती' एक ऐसा देश है, जहां गरीबी बहुत ज्यादा है. यहां के अधिकतर लोग कुपोषण और कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के गरीब लोगों के पास न तो दवाएं खरीदने के लिए पैसे होते हैं और ना ही अस्पताल का खर्चा उठाने की क्षमता है. इनकी गरीबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनके पास खाने के लिए पौष्टिक भोजन तक नहीं है. यही वजह है कि हैती के गरीब लोग मिट्टी या कीचड़ से बनी रोटियां खाकर अपना पेट भरते हैं.
आयात पर ज्यादा निर्भरता
हैती में राजनीतिक उत्पीड़न का भी बहुत लंबा इतिहास रहा है. लोगों में ज्ञान और शिक्षा की कमी है. कृषि क्षेत्र में भी ये देश काफी पिछड़ा हुआ है. हैती की निर्भरता सबसे ज्यादा आयात पर है. एक यह भी वजह है कि ये देश आगे नहीं बढ़ पा रहा. इसके अलावा, इस देश के विकास को प्राकृतिक आपदाओं ने भी कहीं न कहीं बाधित करने का काम किया है.
पहाड़ी मिट्टी से बनाते हैं रोटियां
हैती के लोगों को पहाड़ी मिट्टी किसी वरदान से कम नहीं लगती है. क्योंकि उनके पास दूसरे अमीर देशों की तरह खाने के लिए पौष्टिक भोजन नहीं है. लिहाजा वो पहाड़ी मिट्टी से ही रोटी बनाते हैं. वो पहले मिट्टी में पानी और नमक मिलाकर इसका एक लेप तैयार करते हैं. फिर इसी लेप को वो रोटी का आकार देते हैं और धूप में सुखाकर खाते हैं.
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