बच्चों को डिप्रेशन से रखना चाहते हैं दूर, स्पोर्ट्स में शिरकत जरूर कराएं पैरेंट्स
एक रिसर्च में पाया गया है कि जो लड़के किशोरावस्था में स्पोर्ट्स में हिस्सा लेते हैं, उनको मध्य बचपन में डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों का अनुभव करने की कम संभावना होती है.
अगर आप अपने बच्चे को डिप्रेशन से दूर रखना चाहते हैं, तो उनको स्पोर्ट्स या शारीरिक गतिविधि के लिए प्रेरित करें. यूनिवर्सिटी ऑफ मोंट्रियाल के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में इसका दावा किया है. उन्होंने कहा कि जो लड़के शारीरिक रूप से किशोरावस्था में सक्रिय रहते हैं, उनको डिप्रेशन के लक्षणों की कम संभावना है. उन्होंने 1997 और 1998 के बीच जन्म लेनेवाले 5- 12 वर्षीय लड़कों और लड़कियों पर रिसर्च किया. रिसर्च के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर बच्चों की शारीरिक गतिविधि का प्रभाव देखा गया.
स्पोर्ट्स में भागीदारी से बच्चों को डिप्रेशन की कम संभावना
बच्चों से शारीरिक गतिविधि के बारे में सवाल जवाब के बाद खुलासा हुआ कि 5 साल की उम्र पर स्पोर्ट्स गतिविधि में शिरकत नहीं करनेवाले बच्चों ने खुद को थका हुआ महसूस किया. शोधकर्ताओं ने कहा, "हम स्कूली उम्र के बच्चों में खेलकूद में भागीदारी और डिप्रेशन, चिंता के लक्षणों के बीच लंबे और पारस्परिक संबंध को स्पष्ट करना चाहते थे. हम ये भी परीक्षण करना चाहते थे कि क्या ये संबंध 5 और 12 वर्ष की उम्र के बीच लड़के और लड़कियों में अलग-अलग असर करता है.
रिपोर्ट के मुताबिक डिप्रेशन और चिंता के मामले शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहनेवाले बच्चों में 12 साल की उम्र पर भी ज्यादा देखे गए. इसके विपरीत लड़कियों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला. शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारा उद्देश्य ये दिखाना था कि बच्चों की शुरुआती उम्र की स्थिति का असर होता है. उनका गुस्सा, उनके माता-पिता का शिक्षित होना और परिवार की आमदनी भी उनको प्रभावित करती है. स्कूल जाने से पहले भी मामूली शारीरिक गतिविधि में शामिल होनेवाले बच्चे टीम के साथ काम करने की क्षमता विकसित करते हैं और दूसरों के साथ अच्छा संबंध बनाते हैं.
लड़के और लड़कियों में बेचैनी और डिप्रेशन के बीच अंतर
शोधकर्ताओं ने लड़के और लड़कियों में चिंता और डिप्रेशन के बीच अंतर उजागर किया. उन्होंने बताया कि डिप्रेशन और बेचैनी के कारण लड़के खुद को समाज से अलग थलग रखते हैं और उनका ऊर्जा लेवल तेजी से कम होता है. ये उनमें नकारात्मक भावनाओं को जगाता है, इसके विपरीत लड़कियां बेचैन और तनावग्रस्त होने पर करीबी दोस्त से मदद लेती हैं. लड़कियां अपनी भावनाओं को उनके साथ साझा करती हैं. इस तरह स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आता. उसके अलावा, लड़कियां अपनी भावनाओं को काबू करने में लड़कों से बेहतर सक्षम होती हैं. ये विशेषता उनको अंदरुनी तौर पर टूटने से बचाती है.
Kitchen Hack: घर पर बनाना हो कुछ स्पेशल, तो इस तरह बनाएं Kashmiri Paneer की सब्जी
Amazon Indian Festival Sale: एमेजॉन पर मिल रही हैं ऐसी 5 किताबें जो बना सकती हैं जिंदगी को खुशहाल
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )